Written By : Amisha Gupta
हाल ही में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) बोर्ड ने कई अहम फैसले किए हैं, जो धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से चर्चा का विषय बन गए हैं।
इनमें से एक निर्णय यह है कि केवल हिंदू व्यक्तियों को ही मंदिर प्रशासन में काम करने की अनुमति दी जाएगी, जिससे गैर-हिंदू कर्मचारियों को स्थानांतरित या रिटायर करने की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में राजनीतिक भाषणों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है, ताकि वहां धार्मिक माहौल बना रहे। TTD ने भीड़ प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। यह कदम तिरुपति मंदिर में हर दिन आने वाले लाखों भक्तों के लिए सुगम और सुरक्षित अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
बोर्ड ने भविष्य में और कड़े सुरक्षा उपायों का भी संकेत दिया है, जिनमें डिजिटल निगरानी और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
इन निर्णयों के साथ, TTD ने मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए भी कुछ नए नियम लागू किए हैं। हालांकि, इन फैसलों पर कुछ आलोचनाएं भी आई हैं, विशेषकर गैर-हिंदू कर्मचारियों के स्थानांतरण और धार्मिक भेदभाव के आरोपों को लेकर। इसी बीच, धार्मिक संस्थाओं में कर्मचारियों के चयन के बारे में बढ़ती बहस और विविधता के मुद्दे भी सामने आए हैं। यह बदलाव तिरुपति मंदिर को और भी सख्त नियंत्रण में रखने के लिए किए गए हैं, जिससे मंदिर की पवित्रता और अनुशासन को बनाए रखा जा सके, लेकिन कुछ आलोचकों का मानना है कि यह निर्णय समाज में विभाजन को बढ़ावा दे सकते हैं।