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काशी में पीएम मोदी ने दिए किसानों के हर सवाल का जवाब,कहा – विपक्ष सिर्फ किसानों को बहका रही है।

पीएम नरेंद्र मोदी आज काशी पहुंचे हैं। वहां उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए किसानों को खास तौर पर याद किया। पीएम मोदी ने काशी के किसानों को अन्नदाता बताते हुए उन्हें नमस्कार किया। इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष पर किसानों को बहकाने का आरोप लगया और कहा कि कई दशकों से किसानों के साथ सिर्फ धोखा ही हो रहा है। अब ऐसा करने वाले ही देश के अन्नदाताओं में भ्रम फैला रहे हैं। और  नए कानून किसानों को विकल्प देने वाला है।

वहीं पीएम ने अपने संबोधन में बताया कि  हमारी सरकार  ने तो अभी तक मंडियों को ज़्यादा से ज़्यादा आधुनिक बनाने की कोशिश की है। और इसके लिए करोड़ो रुपये भी खर्च किए है। MSP पर किसानों की उपज बेची जा रही है। इसके साथ ही पीएम ने लोगों से ये अपील की कि आप सब लोग ये बात याद रखे कि ये वहीं  लोग हैं जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर सवाल उठाते थे। ये लोग अफवाह फैलाते थे।इतना ही नहीं ये तो इतना घबरा गए कि एक राज्य ने किसान सम्मान योजना को अपने राज्य में लागू ही नहीं होने दिया। कुछ लोग तो अपनी राजनीति बचाने के लिए ऐसा किया।

पीएम ने बताया कि अगर कोई पुराने सिस्टम से लेनदेन को उचित समझता है तो इस कानून में कोई रोक नहीं लगाई है। नए कृषि सुधारों से नए विकल्प और किसानों कानूनी संरक्षण दिए गए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि किसानों के नाम पर पहले की सरकारों ने बहुत छल किया है। और इस बात का सबूत ये है कि फर्टिलाइजर खेत से ज्यादा कालाबाजारियों के पास पहुंच जाता था। पहले वोट के लिए वादा और फिर छल। जब इतिहास छल का रहा हो तब दो बातें काफी स्वाभाविक है, पहली ये किसान अगर सरकार की बातों से आशंकित रहता है तो इसके पीछे दशकों तक का लंबा छल का इतिहास है। जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया उनके लिए ये झूठ फैलाना एक तरह से आदत और मजबूरी बन गई है। क्योंकि उन्होंने ऐसा ही किया था। इसलिए वही फार्मूला लगाकर यही देख रहे हैं।

पीएम ने आगे कहा कि किसान को आधुनिक सुविधाएं देना और इसके साथ ही छोटे किसानों को संगठित करके उन्हें ताकतवर बनाना और किसानों को मजबूत करने का हमारी सरकार का प्रयास जारी है। फसल बीमा हो या सिंचाई, बीच हो या बाजार हर स्तर पर काम किया गया है। किसान हित में किए गए कृषि सुधार ऐसे ही विकल्प किसान को देते हैं। अगर किसान को कोई ऐसा ही खरीदार मिल जाए जो सीधा खेत से फसल उठाए तो क्या किसान को अपनी उपज उसे बेचने की आजादी मिलनी चाहिए कि नहीं।

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