दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है। इस आंदोलन में ज्यादातर किसान पंजाब से शामिल हुए है। उनका साथ देने के लिए अब उनके परिवार के सदस्यों ने घर की पूरी जिम्मेदारी संभाल ली है।। वो गेहूं की खड़ी फसल की देखरेख कर रहे हैं और खेती-बाड़ी से जुड़े अन्य कामकाज भी संभाल रहे हैं. घर के वयस्क पुरूष सदस्यों की अनुपस्थिति में महिलाएं अपने बच्चों के सहयोग से खेतों की सिंचाई करने, उनमें उर्वरकों का छिड़काव करने, मवेशियों की देखरेख करने और उनके लिए चारा काटने का काम कर रही हैं. इस तरह, खेती-बाड़ी का पूरा काम संभाल कर महिलाएं अपने पति और जवान बेटों को ये आश्वस्त कर रही हैं कि वे घर की चिंता ना करें और आंदोलन पर ध्यान दें.
अमृतसर जिले के झीटा कलां गांव की निवासी परमजीत कौर ने कहा कि बच्चों की मदद से हम गेहूं की फसल, पशुओं की देखरेख कर रहे हैं और अन्य काम कर रहे हैं. कौर के पति हरजीत सिंह एक किसान नेता हैं, जो अभी दिल्ली से लगी सीमा पर किसानों के आंदोलन में भागीदारी कर रहे हैं. परमजीत कौर के दो बच्चे हैं, मनमीत कौर और युवराज सिंह. दंपती के बच्चे अब अपनी मां को खेती और दूसरे कामकाज में पूरे उत्साह के साथ मदद कर रहे हैं.
कौर के दोनों बच्चों ने IELTS की परीक्षा पास की है. और दोनों ही बच्चे अब विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं. युवराज अभी खेतों की सिंचाई कर रहे हैं और पशुओं की देखरेख कर रहे हैं.
बारहवीं पास कर चुके युवराज ने बताया कि मैंने पहली बार गेहूं की बुवाई की है. कनाडा में पढ़ाई करने के इच्छुक, युवराज की 20 वर्षीय बहन मनमीत कौर ने कहा कि हमने खेती का काम पहले कभी नहीं किया था. हम अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे. मेरा काम रसोई तक सीमित था लेकिन अब खेती के काम में भी हाथ बंटा रही हूं. मैं सब्जियों के खेतों की देखरेख और दूसरे काम करती हूं.
उधर दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे एक दूसरे किसान की पत्नी जसप्रीत कौर ने बताया कि वो बठिंडा जिला स्थित अपने जेठुके गांव में पशुओं की देखभाल कर रही हैं. उन्होंने कहा कि मैं अभी अपने पति की गैरमौजूदगी में गाय और भैंस का दूध निकालती हूं. उनका परिवार अपनी आजीविका चलाने के लिए दूध बेचता है.
जसप्रीत ने कहा कि उन्होंने खेतों की सिंचाई के लिए और यूरिया का छिड़काव करने के लिए कुछ मजदूरों को काम पर रखा है. तीन बच्चों की मां जसप्रीत ने कहा कि समस्याएं हैं लेकिन हमें उनका सामना करना होगा.
भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि कई इलाकों में ग्रामीण और श्रमिक उन किसानों के खेतों में सिंचाई करने के लिए आगे आए हैं, जो कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली से लगी सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. कई गांवों में समितियां भी गठित की गई हैं, जहां ग्रामीण उन किसानों की फसलों की सिंचाई कर रहे हैं जो प्रदर्शन स्थल पर जमे हुए हैं.
उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से लगी सीमाओं पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की आशंका है कि ये नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि MSP की व्यवस्था को खत्म कर देंगे और उन्हें बड़े कॉरपोरेट समूहों की दया का मोहताज बना देंगे। कई दौर की बातचीत हो चुकी है और प्रदर्शनकारी किसानों ने नए कृषि कानूनों में संशोधन करने की केंद्र सरकार की पेशकश को खारिज कर दिया है।