म्यांमार में तख्ता पलट हो चुका है। सेना ने ऐलान किया है कि उन्होंने देश की सत्ता अपने हाथों में ले ली है। म्यांमार सेना ने आंग सान सू ची समेत कई नेताओं को हिरासत में भी ले लिया है। इसके अलावा देश के प्रमुख शहरों में भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है। इसके अलावा पूरे देश में संचार व्यवस्थाओं पर सीमित रोक लगाई गई है। खास बात ये कि 10 साल पहले ही सेना ने जनता की चुनी हुई सरकार को सत्ता सौंपी थी। लेकिन एक बार फिर देश में तख्तापलट की ख़बर से म्यांमार के लोगों में खौफ का माहौल है।
दरअसल साल 2011 में म्यांमार में 50 वर्षों से चला आ रहा सैन्य शासन खत्म हुआ था। और लोकतांत्रिक सरकार का गठन किया गया था। लेकिन सोमवार की सुबह ही आंग सान सू ची और दूसरे राजनेताओं की गिरफ़्तारी ने एक बार फिर देश में डर का माहौल पैदा कर दिया है। सू ची और उनकी नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने 2015 में पिछले 25 वर्षों के सबसे स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के बाद देश की सत्ता संभाली थी। सोमवार सुबह पार्टी को अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करना था। लेकिन संसद के पहले सत्र से कुछ घंटे पहले सू ची समेत कई राजनेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
इस पूरे प्रकरण के पीछे से सेना ने म्यांमार पर कड़ी पकड़ पहले से ही बना रखी थी। इसमें सबसे बड़ा योगदान म्यांमार के संविधान का है जिसमें संसद की सभी सीटों का एक चौथाई हिस्सा सेना के हाथों में होने और सबसे शक्तिशाली मंत्रालयों को कंट्रोल करने का अधिकार सबसे अहम है।
पिछले साल नवंबर में होने वाले चुनाव में आंग सान सू ची की पार्टी एनएलडी को 80 फ़ीसदी वोट मिले थे। ये वोट आंग सान सू ची की सरकार पर रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार के लगने वाले आरोपों के बावजूद मिले। हालांकि इन नतीज़ों के बाद सेना समर्थित विपक्षी दल ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। जिसके बाद ये पूरा प्रकरण सामने आया है।