सेंट्रल डेस्क, साहुल पाण्डेय : 73 दिनों के बाद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लोकसभा का चुनाव होने को है. ऐसे में तमाम पार्टियां इस चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं. एक के बाद एक सभी पार्टियां अपने मास्टर स्ट्रोक के रुप में अपने पत्ते खेंल रहे हैं. वहीं इस बार प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कांग्रेस ने भी अपना मास्टर स्ट्रोक प्रियंका गांधी के रुप में खेला है. वहीं कांग्रेस ने बहुत हीं सोच समझ कर यूपी के लिए रणनीति बना ली है. कांग्रेस के लिए इस सबसे महत्वपूर्ण राज्य में अब नो टेंशन वाली स्थिति है.
राहुल गांधी यूपी के बजाए अन्य राज्यों पर देंगे ज्यादा ध्यान
कांग्रेस ने यूपी को लेकर मास्टर प्लान तैयार कर लिया है. इसी प्लान के उपर काम करते हुए कांग्रेस ने पश्चिमी यूपी की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्वी यूपी की कमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी को सौंपी है. कांग्रेस का ये मास्टर स्ट्रोक इतना बैलेंसिंग है कि सिर्फ बीजेपी हीं नहीं बल्की राज्य में महागठबंधन से कांग्रेस को अलग करनेवाली सपा—बसपा भी टेंशन में हैं. खासतौर पर जब से प्रियंका गांधी की राजनीति में औपचारिक एंट्रीके बाद से यूपी में कांग्रेस को अलग थलग करने वाली बुआ—बबुआ की जोड़ी तगड़ा झटका लगा है. कांग्रेस के इस मास्टर स्ट्रोक से दोनों पार्टियों को कांग्रेस से संबंधों को लेकर बैकफुट पर आना पड़ सकता है.
पश्चिमी यूपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया को कमान
कांग्रेस ने पश्चिमी यूपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव का प्रभारी बनाया है. पार्टी का यह फैसला बहुत हीं सेच समझ के लिया गया है. दरअसल यूपी में दो पार्ट हैं. पूर्वी और पश्चिमी. जहां पूर्वी इलाका बिहार और झारखंड से जुड़ा है तो वहीं पश्चिमी इताका हरियाणा, दिल्ली और एमपी से सटा है. यहीं कारण है की एमपी के उपमुख्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी ने पश्चिमी यूपी की कमान सौंपी है. यहां के अधिकतर जिलों में कांग्रेस पिछले कई चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी है. सहारनपुर को छोड़ दें तो किसी अन्य जिलों में कांग्रेस की नुमाइंदगी नहीं है. 2014 में कांग्रेस सहारनपुर और गाजियाबाद में दूसरे नंबर पर रही थी.
ऐसे में यहां का प्रभार ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस ने सौंपा है. उनकी नियुक्ती के बाद पार्टी के अंदर गुटबाजी से लेकर अन्य मनमुटवों पर भी अंकुश लग सकेगा. आपको बता दें कि कांग्रेस यूपी में सत्ता से दूर चल रहीं है. 80 के दशक के बाद कांग्रेस यहां वापसी नहीं कर सकी है.
प्रियंका को पूर्वी यूपी की कमान, सीधे मोदी से टक्कर
कांग्रेस की तरफ से सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक पूर्वी यूपी के लिए प्रियंका गांधी के रुप में खेला है. प्रियंका गांधी का राजनीति में आना यह साफ बताता है कि कांग्रेस 2009 से बड़ी जीत 2019 के चुनावों में चाहती है. यहां उसका वोट प्रतिशत लगातार गिर रहा है. कांग्रेस को 2004 में यहां 12.04 प्रतिशत वोट मिला था. वहीं 2017 के उप चुनावों में 6.2 प्रतिशत मक कांग्रेस को मिला है. 2009 में कांग्रेस को बेशक 11.65 प्रतिशत मत मिला लेकिन कांग्रेस ने 21 सीटों पर जीत हासिल की थी.
प्रियंका को पूर्वी यूपी का कमान इसी लिए सौंपा गया है ताकी वो यहां कं अपने पारंपरिक सीटों पर फिर से दबदबा बना सके. प्रियंका के राजनीति में आने के बाद कांग्रेस की आस अपने पूराने सीटों को लेकर भी जग गई है. पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरु की सीट फूलपुर—इलहाबाद हो या कमलापति त्रिपाठी का गठ वाराणसी… प्रियंका की सहज ओर सरल राजनीतिक शैली यहां के पुराने कांग्रेसीयों को सहेजने में मददगार साबित होगी.
प्रियंका की सीधी टक्कर नरेन्द्र मोदी से भी हो सकती है. उनकी दूसरी इंदिरा वाली छवी को लोग मोदी के टक्कर में देखते हैं. ऐसे में कयास यह लग रहे हैं कि कांग्रेस वाराणसी की अपनी पारंपरिक सीट पर दोबारा दबदबा बनाने की पूरी कोशिश करेगी. यहां पर भले ही आज वाराणसी में नरेन्द्र मोदी का दबदबा हे लेकिन यहां कभी कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था. पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी यहां के आसपास के इलाकों तक फला था.
कांग्रेस के इस मास्टर प्लान को देखकर ऐसा लगता है कि यूपी में अब उसके लिए कोई टेंशन की बात नहीं है. वहीं सिंधिया और प्रियंका के हाथों में कमान दिए जाने के बाद राहुल के लिए प्रयाप्त समय बचेगा जिसमें वे देश के अन्य राज्यों पर नजर बना सकेंगे. यानी कांग्रेस ने सबसे पहले सबसे बड़ी राज्य और सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य को कंट्रोल करने का मास्टर प्लान तैयार किया है.