देश में पिछले करीब चार महीनों से किसान आंदोलन जारी है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ कई संगठनों ने आंदोलन की शुरुआत की थी। 11 दौर की वार्ता के बावजूद किसान संगठनों और सरकार के बीच किसी तरह की सहमति नहीं बन सकी है। हालांकि किसान संगठन लगातार धरने पर बैठे हैं और दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का डेरा लगातार जमा हुआ है। लेकिन कई मायनों में आंदोलन ठंडा पड़ता भी दिखा है। वहीं अब किसान संगठनों ने आंदोलन को नई धार देने के लिए रणनीति में बदलाव की तैयारी की है।
इसे लेकर किसान नेता राकेश टिकैत का बयान सामने आया है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन अभी आठ महीने और चलाना पड़ेगा। किसान को आंदोलन तो करना ही पड़ेगा, अगर आंदोलन नहीं होगा तो किसानों की जमीन जाएगी। किसान 10 मई तक अपनी गेंहू की फसल काट लेंगे, उसके बाद आंदोलन तेज़ी पकड़ेगा
दरअसल 26 जनवरी के दिन हुई हिंसा के बाद से ही किसान आंदोलन तितर-बितर होता दिखने लगा था। दिल्ली की सड़कों पर हुए हंगामे और हिंसा के मामले में पुलिस लगातार शिकंजा कस रही है। वहीं अब किसान संगठनों की ये नई रणनीति कितनी कारगर साबित होती है। इसका पता तो वक्त के साथ ही चल सकेगा। लेकिन किसान संगठनों की तरफ से जारी बयानों को देखें तो अभी ये आंदोलन और लंबा खिंचने जा रहा है।