जैसे ही थोड़ी सी गर्मी बढ़ती है कि लोग बारिश की उम्मीद लगा बैठते हैं, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि बारिश और वर्षा ऋतु दोनों ही ना सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी बहुत खतरनाक साबित हो सकती है, कई बार तो यह होता है कि भारी वर्षा के कारण बिजली के तार आदि टूट जाने की वजह से कई लोगों को करंट लग जाता है, तो कई बार ही होता है कि अधिक जल भरा हो जाने की वजह से काफी मात्रा में मच्छर पनपने लगते हैं जो कि सभी के लिए जानलेवा हो सकते हैं।
वर्षा का पानी अक्सर कई जगहों पर जमा हो जाता है और ऐसे रुके पानी में कई तरह के मच्छर पनपने लगते हैं जो कि भिन्न प्रकार की बीमारियों को बुलावा देने के लिए सक्षम होते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस डॉटकॉम में छपे एक खबर के मुताबिक, मदरहुड अस्पताल, खारघर में कंसल्टेंट पीडियाट्रिशन डॉ प्रशांत मोरालवार बताते हैं, “डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और तेज बुखार, जैसी बीमारियां शरीर में तेज दर्द, चकत्ते, उल्टी और पेट दर्द से जुड़ी हैं और गंभीर लक्षणों जैसे पेट दर्द, लगातार उल्टी और डेंगू के मामलों में रक्तस्राव होने पर तत्काल डॉक्टर की जरूरत होती है। “
इतना ही नहीं अशुद्ध भोजन और पानी के कारण भी मच्छरों और कीड़ों से फैलने वाले संक्रमण हो सकते है। इस पर डॉ मोरालवार ने जानकारी देते हुए कहा, “खाने और पानी से होने वाली बीमारियां भी नवजात और बच्चों में डिहाइड्रेशन का कारण बनती हैं।”
बीमारी के लक्षण
सर्दी जुखाम बुखार बदन दर्द आमतौर पर यह सारी चीजें एक हफ्ते में ठीक हो जाती हैं लेकिन किसी भी तरह के फ्लू में यह लंबे समय तक चलता है।
इस मामले में डॉक्टर का कहना है कि एक बच्चा जो फ्लू से पीड़ित है उसे सूप जैसे गर्म तरल पदार्थ दिए जाने चाहिए, और पर्याप्त आराम करना चाहिए। उसे अन्य बच्चों के संपर्क में नहीं आना चाहिए। इसके अलावा बार-बार हाथ धोना और खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढंकना जरूरी है। ऐसा भी देखा गया है कि बढ़ती नमी और फंगस के कारण बच्चों में एलर्जी और अस्थमा की स्थिति पैदा हो सकती है।
इलाज
समय पर पीडियाट्रिशन से संपर्क करना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेना चाहिए। बच्चों को ओआरएस और अन्य तरल पदार्थ जैसे दाल का पानी, छाछ दिया जा सकता है।
रोकथाम
इस मामले में विशेषज्ञ और डॉक्टरों का कहना है कि माता-पिता को खाने-पीने के मामले में साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए बच्चों की आदतों का भी ध्यान रखना चाहिए सावधानियां बरतनी चाहिए योगा आदि करना चाहिए।
डॉक्टर का कहना है कि “बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उसे फल, दूध, अंडे और बादाम से भरपूर डाइट दें। खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोना चाहिए। पीने के पानी को उबालकर या आरओ/यूवी द्वारा फिल्टर कर पीना चाहिए। मसालेदार और मीठे खाद्य पदार्थों से बचें, खासकर स्ट्रीट फूड। घर में बना खाना ही खाएं। सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हाथ धोता है। इसके अलावा बारिश में भीगने के बाद गर्म पानी से नहाना बच्चे को कीटाणुओं से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। वायरल संक्रमण के रिस्क को कम करने के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। अपनी नाक और मुंह को अपने हाथ से धोए बिना न छुएं।’
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डॉ गुप्ता ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि डेंगू के मच्छर रुके हुए साफ पानी में पैदा होते हैं, इसलिए सुनिश्चित करें कि पानी कूलर, फूलों के बर्तनों या घर के पास जमा न हो। यदि आपके बच्चे में उल्टी, सुस्ती, पेट दर्द, या पेशाब में कमी जैसे लक्षण हैं, तो पीडियाट्रिशन से सलाह लें। फ्लू के खिलाफ वैक्सीनेशन की सलाह भी दी जाती है।
डॉक्टर के मुताबिक इसके अलावा हम इन चीजों का ध्यान भी रख सकते हैं।
सुनिश्चित करें कि बाहर निकलते समय बच्चा पूरी बाजू के कपड़े पहने
मच्छरों से बचाव के लिए स्प्रे का इस्तेमाल करें।
बारिश में उचित जूते पहनना और बारिश के पानी में चलने के बाद पैर धोना।
एलर्जी से बचाव के लिए नियमित रूप से चादरें, कंबल और अन्य घरेलू सामान धोना और बदलना।\
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