सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें हालत बिगड़ जाने पर रोग की सक्रियता अलग-अलग चरणों में सामने आती है वही इस बीमारी में हृदय, फेफड़े, गुर्दे और मस्तिष्क भी प्रभावित होते हैं और इससे जीवन को खतरा हो सकता है बता दें कि इस बीमारी की मौजूदगी भारत में प्रति दस लाख लोगों में 30 के बीच होती है और पुरुषों की तुलना में महिलाएं इससे अधिक प्रभावित होती हैं.
डॉक्टरों के मुताबिक एसएलई एक स्व-प्रतिरक्षित अर्थात ऑटो-इम्यून बीमारी है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रामक एजेंटों, बैक्टीरिया और बाहरी रोगाणुओं से लड़ने के लिए डिजाइन किया गया है यही एक तरीका है जिसकी मदद से प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमणों से लड़ती है और एंटीबॉडीज का उत्पादन करती है, जो रोगाणुओं को जोड़ते हैं.
आगे उन्होंने बताया कि ल्यूपस वाले लोग अपने रक्त में असामान्य ऑटोएंटीबॉडीज का उत्पादन करते हैं, जो विदेशी संक्रामक एजेंटों के बजाय शरीर के अपने ही स्वस्थ ऊतकों और अंगों पर हमला करते हैं. जबकि असामान्य ऑटोइम्यूनिटी का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन यह जीन और पर्यावरणीय कारकों का मिश्रण हो सकता है एसएलई को सूरज की रोशनी, संक्रमण और एंटी-सीजर दवाओं जैसी कुछ दवाएं ट्रिगर कर सकती हैं
डॉ. ने बताया समय के साथ ल्यूपस के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सामान्य लक्षणों में थकान, जोड़ों में दर्द व सूजन, सिरदर्द, गालों व नाक पर तितली के आकार के दाने, त्वचा पर चकत्ते, बालों का झड़ना, एनीमिया, रक्त के थक्के बनने की प्रवृत्ति में वृद्धि और खराब परिसंचरण प्रमुख हैं इसके अलावा हाथों पर पैरों की उंगलियां ठंड लगने पर सफेद या नीले रंग की हो जाती हैं, जिसे रेनाउड्स फेनोमेनन कहा जाता है.
इसके अलावा डॉ. यह भी कहते हैं कि एसएलई का कोई इलाज नहीं है लेकिन समय रहते उपचार लक्षणों को कम करने या नियंत्रित करने में मदद कर सकता है और गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकता है. सामान्य उपचार विकल्पों में जोड़ों के दर्द और जकड़न के लिए नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इनफ्लेमेटरी मेडिसिन, चकत्ते के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड क्रीम, त्वचा और जोड़ों की समस्याओं के लिए एंटीमलेरियल ड्रग्स, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कम करने के लिए ओरल कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स और इम्यूनोसप्रेसेन्ट ड्रग्स दी जाती हैं.
एसएलई के लक्षणों से निपटने के लिए, अपने चिकित्सक के पास नियमित रूप से जाएं. सलाह के अनुसार सभी दवाएं लें साथ ही परिवार का पर्याप्त समर्थन मिलना भी जरूरी है
अधिक आराम के बजाय सक्रिय रहें, क्योंकि यह जोड़ों को लचीला बनाए रखने और हृदय संबंधी जटिलताओं को रोकने में सहायता करेगा
सूरज के संपर्क में अधिक देर तक रहने से पराबैंगनी किरणें त्वचा के चकत्तों को बढ़ा सकती हैं.
धूम्रपान से बचें और तनाव व थकान को कम करने की कोशिश करें
शरीर के सामान्य वजन और हड्डियों के घनत्व को बनाए रखें
इस बीमारी से ग्रसित युवा महिलाओं को माहवारी की तिथियों के हिसाब से गर्भधारण की योजना बनानी चाहिए, जब ल्यूपस गतिविधि कम होती है. गर्भावस्था की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए