चीन के एक मानवाधिकार वकील की पत्नी की कैंसर के चलते अमेरिका में मौत हो गई बता दे की 55 साल की झांग क्विंग 2009 में चीन की यातना के चलते अमेरिका चली गई थीं। वह वहीं से अपने पति यांग माओडांग की आजादी के लिए चीन की शी जिनपिंग सरकार से अपील करती रही थीं, लेकिन चीन ने हर बार उनकी अपील ठुकरा दी। अपने पति से मिलने और एकसाथ जिंदगी बिताने की आस दिल में संजोए ही क्विंग ने सोमवार को यह दुनिया छोड़ दी।
बता दे की चीन की सरकार ने क्विंग के पति को भ्रष्टाचार के झूठे आरोपों में फंसाकर बार-बार जेल भेज दिया। जबकि, क्विंग के पति ने खुद भ्रष्टाचार के एक मामले का उजागर किया था। चीन की सरकार मानवाधिकार के बारे में बात करने वाले लोगों को पहले भी दबाती रही है। उनके पति पर एक गांव में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया गया है
खबरों के मुताबिक जिनपिंग सरकार भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाने के लिए जानी जाती रही है। माना जाता है कि इस अभियान के जरिये जिनपिंग अपने विरोधियों का सफाया करने में जुटे हैं। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेताओं को इसी अभियान के तहत सलाखों के पीछे पहुंचाया जा चुका है। जिनपिंग हर उस आवाज को दबा रहे हैं, जो उन्हें चुनौती दे सकती है।
बता दे की झांग की मौत कोलोन कैंसर के अंतिम स्टेज में जाने की वजह से हुई।और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। बीते साल जनवरी में महिला के पति यांग ने चीन सरकार को खुला पत्र लिखकर पत्नी के इलाज कराने की अपील की थी और देश के बाहर पत्नी के पास जाने की इजाजत मांगी थी। हालांकि, चीन सरकार ने उनकी अपील ठुकरा दी थी।
अपने उपनाम गुओ फीक्सियोनग से भी जाने जाने वाले यांग एक लेखक और वकील हैं। इसके अलावा उन्होंने चीन के दक्षिण में एक गांव के निवासियों को 2006 में स्थानीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के खिलाफ संगठित करने में मदद की थी।वही कम्युनिस्ट पार्टी के इस नेता पर अवैध रूप से गांव की जमीनें बेचने का आरोप है। यांग काे फिलहाल कहां कैद कर रखा गया है, इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। क्विंग भी अपने पति से कई महीनों से संपर्क नहीं कर पा रही थीं।