Written By : Amisha Gupta
मणिपुर में जारी हिंसा और तनाव का समाधान न होने को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों की आलोचना हो रही है।
मणिपुर में मई महीने से शुरू हुई जातीय हिंसा ने कई जिंदगियों को प्रभावित किया है और राज्य की स्थिति को गंभीर बना दिया है। हिंसा के कारण न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है, बल्कि राज्य में शांति और सौहार्द का वातावरण भी पूरी तरह से प्रभावित हुआ है। राज्य के कई हिस्सों में भीड़-भाड़ और हिंसक घटनाओं की वजह से आम लोग परेशान हैं, और उन्हें सुरक्षा की गंभीर चिंता हो रही है। केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार ने हिंसा को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन समाधान अब तक नहीं मिल पाया है। राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का मानना है कि राज्य में शांति की बहाली के लिए संवाद और कूटनीति की जरूरत है, लेकिन फिलहाल स्थिति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है।
मणिपुर हिंसा पर चिंता जताते हुए कई राजनीतिक नेताओं और संगठनों ने सरकार से शीघ्र समाधान निकालने की अपील की है।
केंद्र सरकार ने इस हिंसा को सुलझाने के लिए विभिन्न स्तरों पर बातचीत करने की योजना बनाई है, लेकिन फिलहाल किसी स्थिर समाधान तक नहीं पहुंचा जा सका है। मणिपुर में हिंसा की जड़ें जातीय और सांप्रदायिक मुद्दों से जुड़ी हुई हैं, और इसे सुलझाने के लिए एक मजबूत और समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द ही इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकला, तो इसका नकारात्मक प्रभाव राज्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर और गहरा हो सकता है। राज्य और केंद्र सरकार से मणिपुर की स्थिति को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाने की उम्मीद जताई जा रही है।