सेंट्रल डेस्क दीपक खाम्बरा- लोकसभा चुनाव पहले मुद्दों पर शिवसेना बीजेपी को घेरती नजर आई है। शिवसेना 2018 के मध्य में ही ये एलान कर चुकी है कि वो इस चुनावी महासंग्राम में अपने दम पर ही उतरेगी। लेकिन दोनों के बीच समझौते की कुछ गुंजाइश अभी भी दिखती दे रही है। यूपी के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 48 लोकसभा सीट हैं। ऐसे में दोनों दल अपना-अपना दम दिखाने को तैयार है। 2014 के चुनाव में दोनों दल गठबंधन कर 41 सीट जीत पाने में कामयाब रहे थे। लेकिन सरकार बनने के बाद अपसी मत भेद होने के कारण शिवसेना कई बार बीजेपी पर हमला बोलती रही है। शिवसेना प्रधानमंत्री के खिलाफ राफेल से लेकर राम मंदिर जैसे मुद्दे पर लगातार हमले कर रही है।
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लेकिन इस बीच शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा है कि अगर एनडीए 2019 में सरकार बनाती है तो शिवसेना, अकाली दल और दूसरे बड़े सहयोगियों की भी भूमिका होगी। एनडीए के सभी सहयोगी अपने-अपने राज्यों में मजबूत हैं और अगर केंद्र में आपको उनके साथ गठजोड़ करना है तो राज्य में मुख्यमंत्री उस सहयोगी दल का ही होना चाहिए।
बीजेपी फिलहाल 50-50 फीसदी सीटों पर चुनाव लड़ने का फॉर्मूला देकर गठबंधन कायम रखना चाह रही है लेकिन शिवसेना महाराष्ट्र में बड़े पार्टनर की भूमिका चाहती है. शिवसेना जानती है कि महाराष्ट्र यूपी के बाद सबसे बड़ा राज्य है जहां 48 लोकसभा सीटें हैं। लेकिन शिवसेना बिहार की तर्ज पर सीटों का बंटवारा चाहती है, जहां दोनों पार्टी के बीच बराबरी का बंटवारा हो और राज्य में मुख्यमंत्री हर हाल में शिवसेना का हो। लेकिन अभी महाराष्ट्रा में अभी बीजेपी का मुख्यमंत्री है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे के बगैर चुनाव में जाने का नुकसान समझती हैं। लेकिन अभी दोनों दलों के बीच गठबंधन होता नजर नही आ रहा है।
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वैसे बीजेपी साल 2014 अक्टूबर में विधानसभा का चुनाव शिवसेना के बगैर लड़ी थी लेकिन महाराष्ट्र चुनाव के रिजल्ट के बाद दिसंबर में दोनों पार्टियों ने मिलकर वहां सरकार बनाई. ऐसे में शिवसेना लोकसभा चुनाव महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ लड़ेगी या फिर गठबंधन से बाहर निकल लोकसभा और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी यह एक बड़ा सवाल है।