चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अध्यक्षता में बनी संविधानिक पीठ ने रामजन्म भूमि मामले की मध्यस्थता के लिए तीन सदस्यों का एक पैनल बनाया गया था. इस पैनल में
जस्टिस कलीमुल्ला,आध्यात्मिक गुरु व आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और जाने माने वकील श्री राम पंचू को शामिल किया गया था .
बता दें कि 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़े की ओर से मध्यस्थता पैलन में दो और जजों को शामिल करने की मांग की है। आपको बता दें कि बीते एक मार्च को शीर्ष अदालत की पाँच सदस्यीय बेंच ने अयोध्या मामले को जस्टिस कलीमुल्ला की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पैनल को सौंप दिया था। इस पैनल के दो अन्य सदस्यों में आध्यात्मिक गुरु व आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर व जाने माने वकील श्री राम पंचू शामिल हैं। कोर्ट ने इन्हें सभी पक्षों से बात करके आठ हफ्तों में मामले को सर्वसम्मति से एक हल की ओर बढ़ने का निर्देश दिया है।
इसके पहले 13 मार्च को सुनवाई हुई थी जिसमें सभी पक्षों निर्मोही अखाड़े , बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी व रामलला विराजमान सभी ने मध्यस्थता पैनल के गठन को लेकर सहमति जताई थी। 25 मार्च को कोर्ट में पेश अपनी अर्जी में अखाड़े की ओर से कहा गया कि मामले के पक्षकारों के बीच सीधे बातचीत होनी चाहिए। रिसीवर नियुक्त होने के पहले वही रामलला की पूजा अर्चना की जिम्मेदारी संभालते थे इसलिए पुजारी की भूमिका उन्हें ही मिलनी चाहिए। अखाड़े का यह भी कहना है कि जहाँ तक पूजा या प्रार्थना के अधिकार का मामला है तो हमने किसी को रोका नहीं है ,सभी पूजा करने के लिए स्वतंत्र हैं ,हम सिर्फ पुजारी की भूमिका की बात कर रहे हैं। उनकी ओर से सुनवाई को फैज़ाबाद की जगह किसी तटस्थ जगह पर भेजने की भी माँग की ताकि सभी पक्षकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
बृहस्पति मणि पांडे की रिपोर्ट