हमारे शरीर के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी है।बता दें कि हड्डियों को मजबूत बनाने, नसों, ब्लड, मांसपेशियों और दिल की कमजोरी दूर करने के लिए भी कैल्शियम हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है।हमारे शरीर में हड्डियों और दांतो में 99 प्रतिशत कैल्शियम होता है और 1 प्रतिशत खून और मांसपेशियों में होता है।शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर कई तरह की दिक्कत होने लगती हैं।वहीं बच्चों के लिए तो यह पोषक तत्व और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि बढ़ती उम्र में हड्डियों और दांतों का विकास हो रहा होता है,जिसके लिए कैल्शियम बहुत ही जरूरी है।अगर शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है,तो ऐसी स्थिति को हम हाइपोकैल्सिीमिया कहते हैं।
आपको बता दें कि जब खून में बहुत कम मात्रा में कैल्शियम रह जाता है,तो हाइपोकैल्सीमिया बनता है।शरीर को ठीक तरह से काम करने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है।बता दें कि कैल्शियम नसों, मांसपेशियों, पाचन मार्ग, किडनी और हार्ट के काम करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है।चलिए जानते हैं आखिर बच्चों में कैल्शियम की कमी क्यों होती है और बच्चों में इसके किस तरह के संकेत मिलते हैं।तो चलिए शुरू करते हैं।
कैल्शियम की कमी के संकेत
बता दें कि बच्चे की उम्र में कैल्शियम की कमी के लक्षण पर निर्भर करते हैं।सीरम कैल्शियम लेवल कितना कम हुआ है अैर कितनी तेजी से कम हुआ है,इन चीजों पर भी लक्षण दिखते हैं।इसके अलावा कैल्शियम की कमी के सबसे आम लक्षणों में चिड़चिड़ापन, मांसपेशियों का फड़कना, झटके आना, खाना कम खाना, थकान, दौरे पड़ना, सांस लेने में दिक्कत होना और चलने में परेशानी आना और हाथों का इस्तेमाल न कर पाना शामिल है।
आखिर क्यों होती है कैल्शियम की कमी
आपको बता दें कि कैल्शियम की कमी के शरीर में कई कारण होते हैं।जैसे प्रीमैच्योर बेबी और लो बर्थ वेट बच्चों में यह कॉमन होता है क्योंकि इनका पैराथायराइड ग्लैंड कम मैच्योर होता है और जिन बच्चों की डिलीवरी में दिक्कत आई हो या फिर जिनकी मांओं को एंडोक्राइन विकार जैसे कि डायबिटीज या कैल्शियम का सीरम लेवल बढ़ा हुआ हो,उन्हें कैल्शियम की कमी हो सकती है।इसके अलावा विटामिन डी की कमी के कारण से भी कैल्शियम की कमी हो सकती है।वहीं खून में मैग्नीशियम की असामान्यता और कुछ दवाओं से भी कैल्शियम कम हो जाता है।
ऐसे कर सकते हैं आप कैल्शियम का इलाज
बता दें कि कैल्शियम की कमी के कारण और गंभीरता के आधार पर ही इलाज किया जाता है।वहीं कुछ हल्के मामलों में हाइपोकैल्सीमिया में इलाज की जरूरत नहीं पड़ सकती है तथा यह अपने आप भी ठीक हो सकता है।अक्सर कई लोगों को कैल्शियम और विटामिन डी की गोली दी जाती है और कुछ गंभीर मामलें में नस से भी खून में कैल्शियम चढ़ाया जाता है।
ऐसे ले सकते हैं खाने से कैल्शियम
गौरतलब है कि एक से तीन साल के बच्चों को रोज 700 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है और 4 से 8 साल के बच्चे को 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम चाहिए होता है तथा 9 से 18 साल के बच्चे को रोज 1300 मिलीग्राम कैल्शियम चाहिए होता है।बता दें कि बच्चे को खाने से कैल्शियम दिया जा सकता है।जैसे कुछ खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में कैल्शियम होता है।दूध, दही, चीज आदि कैल्शियम के सबसे अच्छे स्रोत हैं।इसके साथ ही टोफू, सोया ड्रिंक, सोयाबीन, ब्रोकली, केल और हरी पत्तेदार सब्जियों, बादाम, तिल के बीजों, राजमा, छोले, संतरे, अंजीर में भी कैल्शियम होता है।