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ड्रग्स माफिया ने धरा शिकारी का वेश भिखारियों पर कर रहे हैं टेस्टिंग

अगर इस दुनिया में सबसे ज्यादा कोई अपने बारे में सोचता है तो वह है ड्रग्स माफिया। उन्हें इस बात से बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता है कि इस नशीले पदार्थ के सेवन से किसी की जान जा रही है या कोई घर उजड़ रहा है।

अगर उन्हें किसी चीज से फर्क पड़ता है तो वो है पैसा और उनका प्रॉफिट जिसके लिए वे लोग कुछ भी कर सकते हैं। जब एक रास्ता बंद हो जाता है तो वो दूसरे ही दिन कोई नया रास्ता निकाल लेते हैं जिससे कि वह अपने प्रोडक्ट की टेस्टिंग कर सके और उसे ज्यादा से ज्यादा दामों में बेच सकें।

जानकारी के मुताबिक इन दिनों ड्रग्स माफिया ने एक नया रास्ता खोज निकाला है अपने प्रोडक्ट की टेस्टिंग के लिए जिसमें कि उन्होंने भिखारियों और बेघर लोगों को अपना शिकार बनाया है।

एक अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के में दी गई जानकारी के मुताबिक ड्रग्स माफिया चलाने वाले ऐसे लोग आमतौर पर अहमदाबाद में रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर भिखारियों और फुटपाथ पर रहने वालों की तलाश करते हैं। फिर इन्हें बहला-फुसला कर ये ड्रग्स दिया जाता है। जिससे कि इन नशीली पदार्थों का सेवन करने वाले भिखारियों की जान जोखिम में रहती है। वही क्राइम ब्रांच का कहना है कि उन्हें ड्रग्स माफिया के इस गैरकानूनी धंधे के बारे में और इस साजिश के बारे में जानकारी तो है लेकिन अभी तक किसी ने इस बात की शिकायत दर्ज नहीं कराई है जिसकी वजह से वह कोई कदम नहीं उठा पा रहे हैं।

एक अखबार में मिली जानकारी के मुताबिक कालुपुर रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर रहने वाला सलीम मोहम्मद ड्रग्स माफिया का शिकार बन गया था। जिसकी उम्र 38 साल है और अब वह गंजेरी बन चुका है। वहीं दूसरे फुटपाथ पर रहने वाले एक और भिखारी ने उसे नया ड्रग्स दिया। जिसे ट्राय करते ही वह खून की उल्टियां‌ करने लगा। कुछ ऐसा ही हाल खमसा के फुटपाथ पर रहने वाले महेश दतानी का हुआ। उन्हें सूंघने के लिए पाउडर दिया गया। जैसे ही उसने इसका इस्तेमाल किया वो बेहद हिंसक हो गया। वो एक दीवार पर अपने हाथ पीटने लगा। जिससे कि उसके हाथों में फ्रैक्चर हो गया।

एक और 24 साल के शख्स महरुनिसा शेख को कुछ अनजान लोगों ने खाने के लिए टैबलेट दी. उससे कहा गया कि इसे खाते ही सारी बीमारियां दूर हो जाएगी। शेख ने कहना था कि, ‘मैंने पानी के साथ वो टैबलेट खा लिया‌। इसके बाद उसने मुझे थोड़ा दूध पीने के लिए दिया। 15 मिनट के बाद मुझे चक्कर आने लगे।’ 24 साल के राजू रोहति का भी कुछ ऐसा ही हाल था। उसने कहा, ‘मैं चल फिर नहीं पा रहा था। मैं बोल नहीं पा रहा था।

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