जोधपुर में पाकिस्तानी नागरिकों को भारतीय वीजा दिलाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जोधपुर पुलिस के मुताबिक आरोपियों में दो रिश्तेदार हैं, जबकि एक छात्र और एक एनजीओ का कर्मचारी है। एक सीआईडी इंस्पेक्टर की शिकायत पर केस दर्ज किया गया है।पिछले माह इन लोगों के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जांच का आदेश दिया था।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक फर्जी दस्तावेज तैयार करने के मामले में आरोपी नरेंद्र उर्फ नीमाराम टांक, सोहेल रोहानी, चिरंजीव उर्फ अशोक मेघवाल व शीतल भील को गिरफ्तार किया गया है। इन्हें मंगलवार शाम पकड़ा गया। वही जांच में पता चला है कि आरोपियों ने फर्जी पहचान पत्र, प्रायोजक प्रमाण पत्र, आवास प्रमाण पत्र आदि तैयार कर लिए थे, ताकि भारत आने के इच्छुक पाकिस्तानी नागरिक भारत आने के लिए वीजा प्राप्त कर सकें। पुलिस ने बताया इन प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए इन्होंने शिक्षक गौतम पुरी के फर्जी हस्ताक्षर कर लिए थे।
पूछताछ के दौरान पूरी ने बताया कि फर्जी दस्तावेजों पर उनके द्वारा हस्ताक्षर किए जाने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। इसके साथ ही जांच अधिकारी ने कहा कि तीसरी कक्षा का शिक्षक राजपत्रित अधिकारी नहीं हो सकता, इसलिए वह ऐसे किसी सत्यापन का पात्र नहीं है।
बता दे की चार आरोपियों में से दो सोहेल व चिरंजीव जोधपुर हाईकोर्ट परिसर में टाइपिंग का काम करते थे। उन्होंने 11 पाकिस्तानी नागरिकों के अब तक फर्जी दस्तावेज तैयार किए हैं। वे इसके लिए 500 रुपये शुल्क लेते थे। सोहेल व चिरंजीव रिश्तेदार हैं। वे इच्छुक पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा तैयार करने वाले एजेंट के बतौर काम करते थे।
प्रक्रिया के मुताबिक किसी पाकिस्तानी नागरिक को भारतीय वीजा प्राप्त करने के लिए इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में आवेदन करना होता है। इसके लिए भारत के एक प्रायोजक, एक गारंटर की आवश्यकता होती है। इनके दस्तावेजों का सत्यापन एक गजेटेड या राजपत्रित अधिकारी से कराना होता है