‘मानव संसाधन विकास मंत्री’ के तौर पर नए बने रमेश पोखरियाल निशंक भी अपने डिग्री विवाद को लेकर घिर गए है। आपको बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रचंड जीत के बाद दोबारा सरकार में आये नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री का बंटवारा कर दिया। नए कार्यकाल में बने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक कथित फेक डिग्री विवाद में खुद को घिरा पा सकते हैं।
रमेश पोखरियाल विवाद की वजह नाम के आगे में डॉ शब्द का प्रयोग करना। रमेश पोखरियाल श्रीलंका स्थित एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय से दो-दो मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त किये। जबकि ख़बरें के अनुसार यह विश्वविद्यालय श्रीलंका में पंजीकृत है ही नहीं। दरअसल, 90 के दशक में रमेश पोखरियाल निशंक को शिक्षा में योगदान के लिए कोलंबो की ओपेन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने एक डी लिट (Doctor of Literature) की डिग्री दी। इसके कुछ वर्षों बाद उन्हें एक और डी लिट डिग्री विज्ञान में योगदान के लिए उसी विश्वविद्यालय से मिली। जब इस विश्वविद्यालय के बारे में श्रीलंका के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से बातचीत की तो पता चला यह विश्वविद्यालय श्रीलंका में न तो विदेशी और न ही घरेलू विश्वविद्यालय के तौर पर रजिस्टर्ड है।
कुछ दिन पहले देहरादून में फाइल हुई एक आरटीआई दौरान उनके बायोडाटा के बारे में आधी-अधूरी जानकारी आई। उनके सीवी और पासपोर्ट में अलग-अलग जन्मतिथि दर्ज है। सीवी के अनुसार पोखरियाल का जन्म 15 अगस्त 1959 को हुआ, जबकि उनके पासपोर्ट में 15 जुलाई 1959 है।
इस से पहले पिछली सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री बनी स्मृति ईरानी भी अपने डिग्री विवाद को लेकर घिर गयी थी। जिसके बाद लोकसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने डिग्री को लेकर हमला बोला था।