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महाराष्ट्र राष्ट्रपति शासन के कगार पर, जानिए क्या है राष्ट्रपति शाशन

सेंट्रल डेस्क आयुषी गर्ग:-   महाराष्ट्र में सरकार बनने के लिए सिर्फ कल तक का समय बाकी है लेकिन अभी तक किसी भी दल ने सरकार बनाने का दावा नहीं पेश किया है। गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली बीजेपी और शिवसेना एक दूसरे के दुश्मन बन चुकी है।

लेकिन अगर 8 नवंबर तक किसी भी गठबंधन की सरकार नहीं बनी तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को संविधान के आर्टिकल-356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकते हैं।


 

राष्ट्रपति शासन कब और कैसे लगता है

जब देश के किसी राज्य में संवैधानिक मशीनरी ठप पड़ जाती है या कोई भी निर्वाचित दल सरकार चलाने लायक बहुमत जुटाने में सक्षम नहीं हो पाता तो केद्र सरकार संविधान के आर्टिकल-356 का इस्तेमाल कर सकती है, जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में राष्ट्रपति शासन कहते हैं। जिस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, वह सीधे केंद्र सरकार के नियंत्रण में आ जाता है और वहां गवर्नर राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर राज्य सरकार की जिम्मेदारियों को पूरा करता है।

 

राष्ट्रपति शासन कितने दिनों तक लागू रह सकता है?

एक बार राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद उसपर संसद के दोनों सदनों से मुहर लगवाना जरूरी होता है। अगर दोनों सदनों से राष्ट्रपति शासन को मंजूरी मिल जाती है तो यह एक बार में 6 महीने तक लागू रह सकता है। हालांकि, विशेष परिस्थितियों में इसकी मियाद बढ़ायी भी जा सकती है।


 

वहीं महाराष्ट्र में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 9 तारीख को खत्म हो रहा है। इसके साथ ही मौजूदा देवेंद्र फडणवीस सरकार की वर्तमान कार्यकाल भी खत्म हो जाएगा। इन परिस्थितियों में राष्ट्रपति केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश पर राज्यपाल की अनुशंसा को मंजूर कर सकते हैं और विधानसभा को निलंबित स्थिति में रख सकते हैं।

 

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