क्या बिहार में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी कराए जा सकते हैं?
क्या बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विधानसभा भंग होगी?
ये दो सवाल इन दिनों बिहार की राजनीतिक सुर्खियों में बना हुआ था और सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के नेताओं को भी ये प्रश्न परेशान कर र हा था। दरअसल बिहार में एनडीए गठबंधन की नई सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल के विस्तार में हो रही देरी को लेकर इस तरह के कयास लगने शुरू हो गए थे कि बिहार में लोकसभा के चुनाव के साथ ही विधानसभा के चुनाव भी कराए जा सकते हैं। हालांकि अब जो भाजपा के खेमें से खबरें आ रही हैं तो उसके मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले बिहार विधानसभा को भंग नहीं किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक बिहार में 2 से 3 दिन के अंदर मंत्रिमंडल में किनको स्थान मिलेगा ये तस्वीरें साफ हो जाएगी। 20 से 22 नए मंत्रियों के शपथ लेने की खबरें सामने आ रहे हैं। हम आपको बता दें कि नीतीश कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत कुल 9 मंत्री हैं और 36 और नए मंत्रियों के लिए पद रिक्त हैं। भाजपा खेमे से कुल 18 से 20 मंत्री शपथ ले सकते हैं वही दूसरी तरफ नीतीश कमार की पार्टी जदयू से 12 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। अब हम आपको बताते हैं कि मंत्रिमंडल में स्थान पाने की होड़ में कौन लोग प्रयास कर रहे हैं और किन नए नामों को जगह दी जा सकती है। जदयू के दिग्गज नेता और नीतीश कुमार के बेहद करीबी संजय कुमार झा अब मंत्री नहीं बनेंगे क्योंकि उन्हें राज्यसभा में भेजकर केंद्रीय राजनीति में सक्रिय होने का निर्देश दिया गया है। महेश्वर हजारी ने हाल ही में विधानसभा उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है तो कहा जा रहा है कि उन्हें भी स्थान दिया जा सकता है। इस बार जदयू सुधांशु शेखर को भी मंत्री बना सकती है।
बेतिया से भागीरथी देवी, विनय बिहारी, रेणु देवी और नारायण कुशवाहा रेस में हैं तो दूसरी तरफ मोतिहारी से राणा रणधीर और प्रमोद कुमार भी अपना दांव मजबूती से चल रहे हैं। मधुबनी की बात करें तो विनोद नारायण झा, नीतीश मिश्र और रामप्रीत पासवान पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं और तीनों इस बाद दावेदारी कर रहे हैं। दरभंगा से लगभग दो दशक से विधायक का चुनाव जीतते आ रहे संजय सरावगी, जीवेश मिश्र, हरी सहनी जैसे नेता भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि एक बात तो तय है कि मंत्रिमंडल में किसे अवसर दिया जाए इसका फैसला पटना की बजाय दिल्ली दरबार से ही की जाएगी।