पीएम नरेंद्र मोदी ने पांचवें आयुर्वेद दिवस पर देश को दो आयुर्वेद संस्थानों का तोहफा दिया है। जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान का आज प्रधानमंत्री मोदी ने लोकार्पण किया है। इस मौके पर अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आयुर्वेद, भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है। किस भारतीय को खुशी नहीं होगी कि हमारा पारंपरिक ज्ञान, अब कई देशों को भी समृद्धि की ओर लेकर जा रहा है।
इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि हमेशा से ये बात सच है कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी बहुत बड़ी विरासत है। लेकिन ये भी उतना ही सही है कि ये ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में रहा है और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों में। इस ज्ञान को आज के दौर की जरूरतों के मुताबिक विकसित किया जाना बेहद जरूरी है।
दरअसल जिन दो आयुर्वेद संस्थानों को आज देश को समर्पित किया गया है वो देश में आयुर्वेद के प्रतिष्ठित संस्थान हैं। जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान को संसद के कानून के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया गया है।वहीं जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की तरफ से मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है।
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कि जब कद बढ़ता है तो दायित्व भी बढ़ता है। आज जब इन दो महत्वपूर्ण संस्थानों का कद बढ़ा है, तो मेरा एक आग्रह भी है- अब आप सब पर ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी है जो अंतरराष्ट्रीय आचरण के अनुकूल और वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप हो। मुझे विश्वास है कि हमारे कोशिशों से आयुष ही नहीं बल्कि आरोग्य का हमारा पूरा सिस्टम एक बड़े बदलाव का गवाह बनने जा रहा है।
इस बीच पीएम मोदी ने कोरोना संकट का जिक्र करते हुए कहा कि कोरोना से मुकाबले के लिए जब कोई प्रभावी तरीका नहीं था तो भारत के घर-घर में हल्दी, काढ़ा, दूध जैसे अनेक इंम्यूनिटी बूस्टर जैसे उपाय बहुत काम आए। इतनी बड़ी जनसंख्या वाला हमारा देश अगर आज संभली हुई स्थिति में है तो उसमें हमारी इस परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है। आज एक तरफ भारत जहां वैक्सीन की टेस्टिंग कर रहा है. वहीं दूसरी ओर को कोविड से लड़ने के लिए एर्नाकुलम रिसर्च पर भी अंतरराष्ट्रीय सहयोग को तेजी से बढ़ा रहा है। इस समय 100 से ज्यादा जगहों पर अनुसंधान का काम चल रहा है।