सेंट्रल डेस्क प्राची जैन: संविधान दिवस के अवसर पर संसद का संयुक्त सत्र सेंट्रल हॉल में जारी है। राष्ट्रपति रामानथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू मौजूद हैं। वहीं कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने मंगलवार को संविधान दिवस के मौके पर सरकार की तरफ से बुलाए गए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का बहिष्कार किया और संसद परिसर में भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है। हमारा संविधान इतना व्यापक इसलिए है, क्योंकि उसने बाहर के प्रकाश के लिए अपने खिड़कियां खुली रखी हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि अपनी गलतियों की वजह से हमने आजादी भी खोई है और गणतंत्र का चरित्र भी खो दिया था। बाबा साहब ने पूछा था कि हमें आजादी भी मिल गई, गणतंत्र भी हो गए। क्या हम इसे बनाए रख सकते हैं? क्या अतीत से हम सीख ले सकते हैं? बाबा साहब अगर होते तो उनसे अधिक प्रसन्नता शायद ही किसी को होती। भारत ने इतने वर्षों में उनके सवालों का उत्तर दिया और अपने लोकतंत्र को आर समृद्ध किया है।
पीएम ने कहा कि संविधान की भावना अटल और अडिग रही है। अगर इसके साथ कभी कुछ इस तरह के प्रयास हुए भी हैं तो देशवासियों ने इसे असफल किया है। उन्होंने कहा कि मैं 130 करोड़ भारतीयों के सामने नतमस्तक हूं, जिन्होंने लोकतंत्र के प्रति आस्था को कम नहीं होने दिया और संविधान को पवित्र ग्रंथ माना। हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत की दिशा में आगे बढ़ पाए हैं। हमने तमाम सुधार संविधान की मर्यादा में रहकर किए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 नवंबर हमें दर्द भी पहुंचाता है। जब भारत की महान परंपराओं, हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत को आज के ही दिन मुंबई में आतंकवादी मंसूबों ने छलनी करने का प्रयास किया था। मैं वहां मारी गईं सभी महान आत्माओं को नमन करता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अधिकारों और कर्तव्यों के बीच के इस रिश्ते और इस संतुलन को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बखूबी समझा था। आज जब देश पूज्य बापू की 150वीं जयंती का पर्व मना रहा है तो उनकी बातें और भी प्रासंगिक हो जाती हैं।
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