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कैबिनेट ने पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफ़ारिश की, दो दिन पहले गिर गई थी कांग्रेस की सरकार

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, क्योंकि बीजेपी और उसके सहयोगी पार्टियों ने केंद्र शासित प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया। उपराज्यपाल तमिलिसाई साउंडराजन द्वारा सिफारिश किए जाने के तुरंत बाद कैबिनेट ने यह कदम उठाया है।

इसी सप्ताह विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले मुख्यमंत्री नारायणसामी ने इस्तीफा दे दिया था और केंद्र शासित प्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार गिर गई थी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि पुडुचेरी में सीएम नारायणसामी के इस्तीफे के बाद किसी ने सरकार बनाने का दावा नहीं किया इसलिए राज्यपाल महोदय ने आर्टिकल 239 के तहत विधानसभा भंग करने की सिफारिश की आज इसे कैबिनेट ने मंजूरी दी और अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वहां की विधानसभा भंग होगी।

उन्होंने कहा कि पुडुचेरी में सत्तारूढ़ दल के कुछ विधायकों के पार्टी से अलग होने के बाद नारायणसामी नीत सरकार ने इस्तीफा दे दिया था। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने के बाद किसी ने भी सरकार गठन का दावा पेश नहीं किया।

इसके बाद उपराज्यपाल ने पुडुचेरी में विधानसभा भंग करने की सिफारिश की। जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजरी दे दी। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद विधानसभा भंग हो जायेगी। उन्होंने बताया कि पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा आने वाले दिनों में होने की उम्मीद है और इसके बाद आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जायेगी।

पुडुचेरी के पूर्व मुख्मंत्री वी नारायणसामी ने उनकी सरकार गिराने का आरोप भारतीय जनता पार्टी और एआईएडीएमके पर लगाया है। वी नारायणसामी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने एआईएडीएमके के साथ मिलकर गैर लोकतांत्रिक तरीके से उनकी सरकार को गिराने का षडयंत्र रचा है।

पुदुचेरी में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा की कुल 33 सीटें हैं। इनमें से तीन सदस्य मनोनीत होते हैं। कांग्रेस के पांच विधायकों और सहयोगी डीएमके के एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया था। वहीं, एक विधायक को आयोग्य ठहरा दिया गया।

ऐसे में अब विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 26 रह गई। इस स्थिति में अल्पमत में आई नारायणसामी सरकार को 14 विधायकों का समर्थन चाहिए था, लेकिन सरकार अपने नंबर पूरे नहीं कर सकी और गिर गई।

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