कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जान माल की सुरक्षा हेतु वैक्सीन का आविष्कार किया गया था जानकारी के मुताबिक पहले वैक्सीन डीएनए से बनाई गई थी वही अब सरकार की मदद और वैज्ञानिकों की सूझबूझ ने मिलकर एक नया प्रयोग किया है जिसमें की एमआरएनए तकनीक के जरिए वैक्सिंग बनाए गए हैं इस वैक्सीन को जानवरों पर टेस्टिंग के दौरान सुरक्षित पाया गया है इसीलिए या अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह इंसानों को भी दिया जाएगा।
जानवरों पर टेस्टिंग के दौरान सुरक्षित पाए गए इस वैक्सीन को दूसरे और तीसरे चरण के लिए भी अनुमति दे दी गई है।
जानकारी के मुताबिक अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना के पास एमआरएनए वैक्सीन है। कोवाक्सिन व जायकोव के बाद यह तीसरी स्वदेशी वैक्सीन होगी। एक और स्वदेशी वैक्सीन पर काम जारी है जिसका परीक्षण बायोलॉजिकल ई कंपनी के जरिए किया जा रहा है।
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ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के अधिकारी का कहना है कि विशेषज्ञ समिति से सिफारिश मिलने के बाद फॉर्मा कंपनी जेनोवा को भारत की पहली एमआरएनए वैक्सीन के लिए दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण एक साथ शुरू करने की अनुमति दी गई है।
बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन के दूसरे चरण में 10 से 15 अस्पतालों में इसका टेस्ट किया जाएगा और यह नोटिस किया जाएगा कि इस वैक्सीन को देने के बाद मानव शरीर में एंटीबॉडी विकसित होती है या नहीं। वहीं तीसरे चरण में देश के 22 अस्पतालों में या वैक्सीन टेस्ट की जाएगी और यह देखने की कोशिश की जाएगी कि इस वैक्सीन को देने के बाद किस हद तक यह संक्रमण को रोक पाती हैं।