अमेरिका का कुल राष्ट्रीय कर्ज भार रिकॉर्ड स्तर पर 30 ट्रिलियन डॉलर से अधिक पहुंच गया है. मंगलवार को अमेरिकी सरकार के तहत आने वाले ट्रेजरी विभाग ने ये आंकड़ा जारी किया है. खबरों के मुताबिक, विशेषज्ञ इस मसले पर बंटे हुए नजर आ रहे हैं. क्योंकि कर्ज का इतना बड़ा आंकड़ा ऐसे मुश्किल वक्त में सामने आया है, जब अमेरिका की राजकोषीय और मौद्रिक नीति मुश्किलों से गुजर रही है.
इसके अलावा उधार की लागत बढ़ने की भी संभावना है, जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल कर्ज की दर 31 जनवरी तक की है. जो बीते साल 2020 के जनवरी से करीब 7 ट्रिलियन डॉलर तक अधिक है. उस वक्त देश की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस की चपेट में नहीं आई थी. जानकारी के मुताबिक वॉशिंगटन के सार्वजनिक और अंतर सरकारी कर्ज दोनों के आसमान छूने के पीछे कई कारण हैं. एक कारण ये है कि सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के कारण सरकारी खर्च में वृद्धि की है.
बताया जा रहा है कि इस अवधि के दौरान संघीय सरकार ने जापान और चीन के नेतृत्व वाले विदेशी निवेशकों से करीब 7 ट्रिलियन डॉलर का उधार लिया है, जिसका वापस भुगतान करने की आवश्यकता होगी. इसके अलावा अमेरिकी वित्त विशेषज्ञों ने एक दूसरा कारण वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के बाद से राष्ट्रीय कर्ज भार में हुई बढ़ोतरी को बताया है. जो महामारी के करीब एक दशक पहले की बात है. तब अमेरिका में एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया था. वही जब दिसंबर 2007 में वैश्व अर्थव्यव्सथा में गिरावट शुरू हुई थी, तब अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज भार 9.2 ट्रिलियन डॉलर था.
वर्ष 2017 में तत्कालीन ट्रंप सरकार द्वारा अधिनियमित टैक्स कट्स एंड जॉब्स एक्ट के तहत कर कटौती से होने वाले राजस्व घाटे में 2018 और 2025 के बीच संघीय कर्ज में अनुमानित 1-2 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा करेगा. जो महामारी के कारण और भी अधिक बढ़ गया है. इतना ही नहीं बाइडेन सरकार के दौरान भी कांग्रेस ने छोटे व्यवसायों, बेरोजगार श्रमिकों और उनके परिवारों और अन्य समूहों को समर्थन देने के लिए पैंडेमिक प्रोग्राम्स के तहत खरबों डॉलर को मंजूरी दी है.