रूस और यूक्रेन के बीच जंग का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।जिसके चलते अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने 8,500 अमेरिकी सैनिकों को पूर्वी यूरोप में तैनाती के लिए ‘हाई अलर्ट’ पर रखा है। वही पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि इन सैनिकों में कॉम्बेट टीम, हेल्थ वर्कर्स, इंटेलिजेंस और सर्विलांस टीम के मेंबर्स शामिल हैं।
जॉन किर्बी के मुताबिक ‘अभी तक इन सैनिकों की तैनाती के लिए न तो कोई आदेश जारी किया गया है और न ही इन्हें कोई मिशन सौंपा गया है। हालांकि, पूर्वी यूरोप में नाटो को मजबूत करने के लिए अमेरिकी सैनिकों को तैनात किया जा सकता है।
बता दे की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन पर हमले की स्थिति में गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है। जॉनसन का ये बयान रूसी सेना द्वारा फरवरी में आयरलैंड के तट से 150 मील दूर समुद्री सैन्य अभ्यास करने के ऐलान के बाद आया है। वही रूस ने एटलांटिक, प्रशांत, भूमध्यसागर व उत्तरी सागर में अपने 140 वॉरशिप के साथ युद्धाभ्यास का ऐलान किया है।
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने यूक्रेन और रूस में तनाव कम करने के लिए पॉलिटिकल डायलॉग शुरू करने का अनुरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक के मुताबिक, ‘संयुक्त राष्ट्र दोनों देशों के बीच जंग की जगह बातचीत से मसलों का हल चाहता है। साथ ही उन्होंने कहा की हम सभी पक्षों से अपील करते हैं कि वे युद्ध के हालात खत्म करने और बॉर्डर को डी-एस्केलेट करने के लिए जल्द कदम उठाएं।’
ब्रिटेन ने यूक्रेन को रूस के संभावित हमले से मुकाबले के लिए बड़ी संख्या में अत्याधुनिक एंटी टैंक मिसाइलें और एंग्लो-स्वीडिश एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें सौंपी हैं। बताया जा रहा है कि रूस की तरफ से यूक्रेन की सीमा पर सबसे पहले टैंकों से हमले की आशंका है। नाटो मिलिट्री एक्सपर्ट्स ने कहा, रूस ने यूक्रेन सीमा पर लगभग अपने 8 हजार टैंक तैनात किए हुए हैं। इसके अलावा यूक्रेन सीमा पर रूस ने 36 इस्कैन्डर मिसाइल लॉन्चर भी तैनात कर रखे हैं।
बता दे की रूस और यूक्रेन में जो हालात बने हैं, उनमें अमेरिका ने भी सीधी कार्रवाई का मन बन लिया है। वही शनिवार को मैरीलैंड में पेंटागन के अफसरों ने बाइडेन के सामने रूस से निपटने के कई विकल्प पेश किए। इनमें से एक यह है कि रूस पर सैन्य दबाव बनाने के लिए उसके करीबी देशों में अमेरिकी सैनिक, फाइटर जेट्स और वॉरशिप तैनात किए जाएं। और इन देशों में 1 से 5 हजार अमेरिकी सैनिक किसी भी भेजे जा सकते हैं।