सेंट्रल डेस्क प्राची जैन: दिल्ली का संगम विहार इलाका। दस लाख से ज्यादा की आबादी वाले इस इलाके में पेयजल आपूर्ति के लिए जल बोर्ड ने करीब दो माह पहले पाइपलाइन बिछाई है। लेकिन अब तक महज दस फीसदी घरों में ही पानी की आपूर्ति हो रही है।
नतीजा पानी माफिया की इस इलाके में खूब घुसपैठ है। प्रति टैंकर पानी की कीमत पांच सौ से लेकर एक हजार रुपये तक वसूली जाती है। पड़ताल में यह बात सामने आई कि जल बोर्ड ने भिजवा दिया तो ठीक नहीं तो माफिया से पानी खरीदना पड़ता है।
अमर उजाला की टीम ने संगम विहार क्षेत्र में पानी के इस खेल को बारीकी से जानने की कोशिश की तो साफ हुआ कि यहां जरूरी काम के लिए पानी तो दूर पीने के पानी के लिए भी आरओ या बोतलबंद पानी पर 90 फीसदी परिवार निर्भर हैं।
संगम विहार के जे ब्लॉक, ए ब्लॉक और दुग्गल कॉलोनी में कुछ टैंकर सड़कों पर दिखे भी। एक छोटा टैंकर जिसमें ़1000 लीटर पानी होता है, इसके लिए 500 रुपये जबकि बड़े के लिए 600-1000 रुपये वसूला जाता है।
फोन पर जब एक टैंकर मालिक से संपर्क किया गया तो उसने बताया कि सुबह फोन करें। रेट पूछने पर बताया कि कम से कम 500 रुपये। अगर बड़ा टैंकर चाहिए तो रेट बाद में तय कर लेंगे।
पानी पर हर माह करते हैं करोड़ों खर्च
संगम विहार की कॉलोनियों और ब्लॉक में रहने वाले 90 हजार परिवारों की पानी की जरूरतें निजी कारोबारी पूरी करते हैं। इसके लिए यहां के निवासियों को हर माह करोड़ों खर्च करना पड़ रहा है। हैरत की बात है कि अनदेखी का शिकार हुए क्षेत्र वासियों को अवैध टैंकर, बोतलबंद पानी की बिक्री का कोई विकल्प भी नहीं उपलब्ध करवाए गए हैं।
11 साल बाद भी पाइपलाइन डालने का काम नहीं हुआ पूरा
एल-वन निवासी बिजेंद्र यादव ने बताया कि 2008 में सोनिया विहार से पाइपलाइन डालने की शुरुआत की गई थी। 11 साल बाद भी इसे पूरा नहीं किया जा सका है। अभी भी महज 10 फीसदी घरों तक ही पाइपलाइन से वह भी मेन लाइन को तोड़कर कुछ घरों में लोगों ने पानी का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। वर्ष 2008 में तत्कालीन विधायक विजय जॉली ने इस क्षेत्र में पानी की पाइपलाइन का प्रस्ताव दिया था।