Breaking News
Home / ताजा खबर / नहीं कर पाएंगे दूसरों की मदद अपने में ही उलझे दिखे कांग्रेस के दिग्गज नेता

नहीं कर पाएंगे दूसरों की मदद अपने में ही उलझे दिखे कांग्रेस के दिग्गज नेता

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में लड़खड़ाती कांग्रेस के कार्यकर्ता राज्य के वरिष्ठ नेताओं की ओर देख रहे हैं लेकिन वे सब अपनी ही सीटों के संघर्ष में उलझे हैं। दिल्ली से भी पक्की खबर नहीं है कि। हालांकि कुछ सूत्र 12 अक्तूबर से केंद्रीय नेताओं के दिल्ली से आने की बात कह रहे हैं।

परंतु फिलहाल स्थिति यह है कि महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में समन्वय और तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। जबकि भाजपा के राज्य नेताओं की समन्वय बैठक और बातचीत हर दिन 11 बजे होती है। इस बीच चुनाव लड़ रहे कांग्रेसी नेता वरिष्ठों का इंतजार करने के बजाय घर-घर जाकर प्रचार में लग गए हैं।


महाराष्ट्र में कांग्रेस के पास पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से लेकर अशोक चव्हाण, बालासाहेब थोरात, नाना पटोले, सुशील कुमार शिंदे, विश्वजीत कदम, विजय वडेट्टीवार, नसीम खान और यशोमति ठाकुर जैसे नेता हैं। मगर यह भी सच है कि पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्षों संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा के नकारात्मक रवैयों ने कार्यकर्ताओं के मनोबल को धराशायी किया है। दोनों चुनावी परिदृश्य से गायब हैं।

कांग्रेस के 2014 का भी प्रदर्शन न दोहरा पाने की स्थिति

उत्तर भारतीय वोटों को साधने वाले वरिष्ठ नेता कृपाशंकर सिंह के ऐन मौके पर पार्टी छोड़ने से भी राज्य में कांग्रेस को धक्का लगा है। ऐसे में कांग्रेस के 2014 का भी प्रदर्शन न दोहरा पाने की स्थिति पैदा हो गई है। रोचक बात यह है कि राज्य नेताओं के आपसी विवादों के कारण जिन पांच नेता जिनमें नितिन राउत, यशोमति ठाकुर, मुजफ्फर हुसैन, बासवराज पाटिल और विश्वजीत कदम को महाराष्ट्र में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया, वे सभी चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें दूसरों के साथ समन्वय की फुर्सत नहीं है।

इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण दक्षिण कराड से, अशोक चव्हाण नांदेड के भोकर से, बालासाहेब थोरात संगमनेर से चुनाव मैदान में हैं। अशोक चव्हाण के क्षेत्र में तो 91 उम्मीदवार खडे हैं। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार चंद्रपुर के ब्रह्मपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं। जानकारों के अनुसार वर्तमान स्थिति में सभी वरिष्ठ नेताओं की प्राथमिकता पार्टी की स्थिति सुधारने से ज्यादा अपने क्षेत्र में जीतना है।


इसलिए उनका जोर दूसरे या जूनियर नेताओं के लिए प्रचार से ज्यादा खुद अपने क्षेत्र में ज्यादा समय बिताने का है। उधर, सुशील कुमार शिंदे भले ही राज्य में समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं, परंतु उनकी बेटी प्रणीति दक्षिण सोलापुर से चुनाव लड़ रही हैं। शिंदे उनके प्रचार में जोरशोर से लगे हैं। उनका तर्क है कि हमने क्षेत्रवार समितियां बनाई हैं और मैं फोन पर सबके संपर्क में हूं।

Written by: prachi jain

https://www.youtube.com/watch?v=MsJvx3gn0R8

About News10India

Check Also

JNU के बाद अब Jamia में भी ऑनलाइन कक्षाएं, छात्र इस तारीख से करेंगे कैंपस में प्रवेश

Written By : Amisha Gupta दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) विश्वविद्यालय ने …

Leave a Reply

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com