सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सांसद आजम खां और अब्दुल्ला के मामलों की अलग होगी सुनवाई
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जेल में बंद रामपुर के सांसद आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम पर दर्ज तीन मुकदमों की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही है। लेकिन, बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने आजम खां की पत्नी तजीन फात्मा की एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए, इन मामलों की सुनवाई सेशन कोर्ट की जगह मजिस्ट्रेट कोर्ट में करने के लिए हाईकोर्ट से कहा है।
बताया जा रहा है की अधिवक्ता के मुताबिक कोर्ट के इस आदेश के बाद मुरादाबाद में एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट गठन की प्रक्रिया होगी। इसके बाद एमपी-एमएलए कोर्ट के मामले मजिस्ट्रेट की कोर्ट में सुने जाएंगे। रामपुर के सांसद आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ तीन मुकदमों की एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई चल रही है। आरोपित पक्ष के अधिवक्ता वीरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि उनके मुवक्किल पर दर्ज सभी मुकदमे मजिस्ट्रेट कोर्ट से संबंधित है।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में सत्ता की ललक में समाजवादी पार्टी
ऐसे में इन मामलों की सुनवाई सेशन कोर्ट में नहीं होनी चाहिए। इसी को लेकर आरोपित आजम खां की पत्नी तजीन फात्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दाखिल की थी। जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन न होने का आरोप लगाया था।
इस मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की पीठ ने सुनवाई की। बुधवार को तीन जजों की पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को सीआरपीसी की नियमावली के अनुसार अलग से एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन करना चाहिए।
आरोपित पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि इस अपील को लेकर पहले भी एमपी-एमएलए कोर्ट में जानकारी देकर वक्त मांगा गया था। अब आगामी 30 नवंबर को होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कापी एमपी-एमएलए कोर्ट में दी जाएगी।
अधिवक्ता ने कहा कि कोर्ट गठन में अभी वक्त लगेगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का अनुपालन कैसे होगा यह एमपी-एमएलए कोर्ट से तय होगा।