आधुनिक युग में भले ही विज्ञान ने भौतिकता की प्रचण्ड उपलब्धि हासिल कर ली हो मगर दुनिया के कुछ रोचक तथ्य आज भी विज्ञान के लिए पहेली बने हुए है। दरअसल यह जानकारी आपको हैरान कर देंगी सदियो से बने इस जगह के रहस्य को वैज्ञानिक अभीतक नहीं सुलझा पाए है। यह जगह में स्थित एक रेगिस्तान है जिसे डैथ वैली मौत की घाटी के नाम से जाना जाता है। यह बात आपको चौका देंगी कि इस जगह पर खिसकने वाले पत्थर, जिन्हे सेलिंग स्टोन्स के नाम से जाना जाता है।
यंहा के रेस ट्रैक क्षेत्र में मौजूद 320 किलोग्राम तक के पत्थर अपने आप खिसक कर दूसरी जगह चले जाते है। डैथ वैली में खुद व खुद पत्थर खिसकना विज्ञान के लिए अनसुलझी पहेली बनी हुई है। हालांकि उन पत्थरो को अपनी आंखो यंहा से खिसकते हुए किसी नहीं देखा, लेकिन उन पत्थरो के खिसकने के निशान बने हुए है। यंहा 150 पत्थर है जो सर्दियों में 250 मीटर से भी ज्यादा दूर खिसके हुए मिलते है। बताया जा रहा है 1972 में इस रहस्य को सुलझाने के लिए एक टीम बनाई गई थी। टीम ने उन पत्थरो का नामकरण कर उस पर सात साल अध्यन किया था। केरिन नाम का लगभग 317 किलोग्राम का यह पत्थर अध्यन के दौरान हिलाने से भी जरा भी नहीं हिला , लेकिन जब वैज्ञानिक कुछ साल बाद वंहा वापस लौटे तब उन्होंने पत्थर को एक किलो मीटर दूर पाया।
कुछ वैज्ञानिको का ऐसा मानना है कि तेज रफ्तार से चलने वाली हवाओ के कारण पत्थर एक जगह से दूसरी जगह चले जाते है। वैज्ञानिक शोध बताते है कि इस रेगिस्तान में 90 मील प्रतिघंटा से कहलने में वाली हवाएं रात को जमने वाली बर्फ और सतह की ऊपरी मिटटी गीली परत, यह सब मिलकर पत्थरो को गतिमान करते होंगे, लेकिन इसका कोई ठोस साक्ष्य नहीं है, वैज्ञानिक के पास यह सदियों से एक रहस्य ही बना हुआ है आखिर यंहा क्यों होता है यह पत्थर एक जगह से दूसरी जगह खिसक कर कैसे पहुंच जाते है।
WRITTEN BY- RISHU TOMAR