यूपी में धर्म परिवर्तन प्रतिषेध एक्ट को लेकर अब राजनीति गरमाने लगी है। इसी को लेकर बहुजन समाज पार्टी ने सरकार से इस पर से विचार करने की मांग की है। वहीं इससे पहले जबकि इसके पहले समाजवादी पार्टी ने दो टूक कहा कि इस तरह का कोई कानून उसे मंजूर नहीं है और इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। दूसरी तरफ मुस्लिम धर्म गुरुओं की ओर से भी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है।
वहीं बसपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक ट्वीट किया और लिखा कि लव जिहाद को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आपाधापी में लाया गया धर्म परिवर्तन अध्यादेश अनेक आशंकाओं से भरा है जबकि देश में कहीं भी जबरन और छल से धर्मांतरण को ना तो खास मान्यता और ना ही स्वीकार्यता है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस संबंध में कई कानून पहले से ही प्रभावी हैं। सरकार इस पर पुनर्विचार करे, बसपा की ये मांग है।
आपको बता दें कि हाल ही में यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध एक्ट, 2020 को मंजूरी दे दी है,जिसके तहत जबरन या धोखे से धर्मांतरण कराए जाने और शादी करने पर 10 वर्ष की कैद और विभिन्न श्रेणी में 50 हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध एक्ट, 2020 की अधिसूचना शनिवार को जारी कर दी गई।
वहीं राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि जिस दिन य विधेयक विधानसभा में पेश होगा तो उनकी पार्टी पूरी तरह विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि सपा ऐसे किसी कानून के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ अंतरजातीय और अन्तर्धामिक विवाह को प्रोत्साहन दे रही और दूसरी तरफ इस तरह का कानून बना रही है, तो यह दोहरा बर्ताव क्यों है?
विपक्षी दलों के अलावा अब मुस्लिम विद्वानों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में मदरसा अलीमिया जमदाशाही के मुफ्ती अख्तर हुसेन ने कहा कि राज्य सरकार जिस तथाकथित लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने जा रही है, जिससे धर्म परिवर्तन न हो, तो ऐसे में मुसलमानों को शुक्रिया अदा करना चाहिए क्योंकि इस्लाम भी इस तरह के काम के खिलाफ है।