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राजद्रोह मामला- कंगना को बॉम्बे HC से राहत 25 जनवरी तक गिरफ्तारी पर रोक

बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत को राजद्रोह मामले मैं मुंबई हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत की अवधि को 25 जनवरी तक बढ़ा दिया है। कंगना रनौत के खिलाफ मुंबई के बांद्रा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद बीते साल नवंबर में इस केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कंगना को गिरफ्तारी से राहत दी थी।

आपको बता दें बीते शुक्रवार को कंगना रनौत देशद्रोह एवं अन्य आरोपों को लेकर दर्ज मामले में अपना बयान दर्ज कराने के लिए मुंबई के बांद्रा पुलिस स्टेशन पहुंची थी। इस दौरान कंगना की बहन रंगोली चंदेल और उनके वकील रिजवान सिद्दीकी भी उनके साथ थे। हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक कंगना और उनकी बहन रंगोली चंदेल ने बांद्रा पुलिस स्टेशन में आकर अपना बयान दर्ज कराया।

क्या है मामला?

गौरतलब है सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट के जरिए कथित तौर पर समाज मे घृणा और साम्प्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप लगाते हुए बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोत और उनकी बहन रंगोली के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। इसी को देखते हुए बांद्रा की मजिस्ट्रेट अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए थे।

कंगना बोली अत्याचार हो रहा है।

अपना बयान दर्ज कराने से पहले कंगना रनोत ने वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा जब से मैंने देश के हित में बात की है। जिस तरह से मुझ पर अत्याचार किए जा रहे हैं। मेरा शोषण किया जा रहा है,वह सारा देश देख रहा है। गैरकानूनी तरीके से मेरा घर तोड़ दिया गया। किसानों के हित में बात करने के लिए हर दिन मुझ पर ना जाने कितने केस किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि,  यहां तक कि मुझ पर हंसने के लिए भी एक केस हुआ है एक्ट्रेस आगे कहती हैं मेरी बहन जिन्होंने कोरोना काल की शुरुआत में डॉक्टरों पर हुए अत्याचार पर आवाज उठाई उन पर भी केस हुआ और उस केस में भी मेरा नाम डाल दिया गया जबकि उस वक्त में ट्विटर पर भी नहीं थी ऐसा होता नहीं है, लेकिन ऐसा किया गया। हमारे जस्टिस ने इसे खारिज भी कर दिया उन्होंने कहा कि इस केस का कोई तुक नहीं है।

https://twitter.com/KanganaTeam/status/1347433867683131393?s=19

बॉलीवुड क्वीन आगे कह रही है कि मुझे यह भी कहा गया है कि मैं अपने साथ हो रहे इन अत्याचारों के बारे में किसी से बात नहीं कर सकती हूं, किसी को बोल नहीं सकती, बता नहीं सकती, मैं सुप्रीम कोर्ट से पूछना चाहती हूं कि, क्या यह वह दौर है, जहां औरतों को जिंदा जलाया जाता है जहां वह किसी से कुछ बोल भी नहीं सकती इस तरह के अत्याचार सारी दुनिया के सामने हो रहे हैं।

उन्होने कहा कि, मैं लोगों से यही कहना चाह रही हूं कि जो लोग आज यह तमाशा देख रहे हैं उनसे यही कहना चाह रही हूं कि जिस तरह के खून के आंसू हजारों सालों की गुलामी में सहे हैं वह फिर से सहने पड़ेंगे अगर राष्ट्रवादी आवाजों को चुप करा दिया गया।

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