सोशल मीडिया के इस समय में नेता आए दिन अपने बयानों के लिए सुर्खियाँ बटोरते हैं।
हालाँकि कई बार ऐसे ही दिए गए सनसनीख़ेज़ बयानों से यही नेता पत्रकारों, समर्थकों और जनता के सवालों का निशाना भी बनते हैं।
ऐसा ही कुछ बिहार में हुआ। दरअसल हुआ ये कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा बायाँ दिया कि देश मेन की जाने वाली जनगणना में जातिगत आँकड़े भी जुटाए जाने चाहिए। इसके पीछे दलील ये दी गयी कि जनगणना की शुरुआत में जातिगत आँकड़ों को भी अम्मेलित करने का लक्ष्य था।
इससे सभी वर्गों को समान रूप से अवसर मुहैया काया जा सकते थे।
नीतीश कुमार के इस विचर का RJD ने भी किया। लेकिन BJP इसके विरोध में आयी और अपने इस विरोध के पीछे देश में बढ़ती जनसंख्या के दबाव की तरफ़ इशारा किया।
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इसके बाद नीतीश कुमार ने ना तो कोई नयी दलील दी ना BJP के संकेत को नकारा।
अब पत्रकातेओं ने इसी पर बिहार के उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को घेर लिया। प्रसाद मूँगेर से राजधानी पटना जा रहे थे और कुछ देर लक्षिसरय मेन रुके थे।
लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जाति आधारित जनगणना कराने की केंद्र सरकार से की गई मांग के संबंध में पूछे जाने पर तारकिशोर प्रसाद ने चुप्पी साध ली। मीडियाकर्मियों से कहा कि इस मुद्दे को छोड़कर दूसरा सवाल पूछिये।
ऐसे में साफ़ है, मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान से जब उप्मुख्य्मंत्री कन्नी काटने लगें तो सीधा अर्थ है कि अंधेर नगरी और……
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