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दस्‍त होने पर शिशु को खिलाना च‍ाहिए ये,जानिए ?

अक्सर बच्चों को दस्त की बीमारी हो जाती है|पतले दस्त होते रहना और आंव गिरना एक अलग बीमारी है|लेकिन दस्त रोग से ग्रसीत बच्चे का शरीर शुष्क हो जाता है|जिससे इन बच्चो की मृत्यू हो सकती है|दस्त केजीवाणु या विषाणू दूषित हाथों या भोजन-पानी के साथ बच्चों के पेट में पहुँचते है।आपको बता दें कि फेफड़ों, कानों के संक्रमणों और मलेरिया से भी बच्चों में दस्त हो जाते हैं।कुपोषण से शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर पड़ जाता है।जिसके बाद बच्चे को दस्त लगने की संभावना ज़्यादा होती है।दस्त जीवाणुओं के संक्रमण के अलावा अन्य कारणों से भी लग सकते हैं।जैसे कि दांत निकलने के समय, खाने से होने वाली एलर्जी से या फिर अपच से।

वैसे तो बच्‍चों को दस्‍त होने पर माता पिता को चिंता होना स्‍वाभा‍विक है।क्यूंकि दस्‍त के चलते शिशु को कमजोरी और थकान हो सकती है।दस्‍त लगने पर बच्‍चों को कुछ नहीं खिलाना चाहिए लेकिन शरीर में पानी की कमी होने से बचाने के लिए उन्‍हें कुछ न कुछ खिलाते-पिलाते रहना चाहिए।आज हम आपको कुछ विशेष फूड्स के बारे में बताएंगे हैं जिन्‍हें आप दस्‍त लगने पर शिशु को खिलाना फायदेमंद रहता है।ये फूड्स हल्‍के होते हैं और आसानी से पच भी जाते हैं।

​दस्‍त में कैसे खिलाएं बच्‍चे

आपको बता दें कि छह महीने से कम उम्र के बच्‍चे को दस्‍त लगने पर सिर्फ मां का दूध या फॉर्मूला मिल्‍क देना चाहिए और छह महीने से अधिक उम्र के बच्‍चे को दिन में थोड़ी थोड़ी देर में खिलाते रहें।इसमें हल्‍का आहार लेना सही रहता है।बच्‍चे को जबरदस्‍ती खिलाने की बिलकुल भी कोशिश न करें।उसकी पसंद का खाना खिलाएं।दस्त होने पर बच्‍चों को पोटैशियम से युक्‍त फल खिलाएं और जब भी मोशन आए तो बच्‍चे को स्‍तनपान करवाएं या फॉर्मूला मिल्‍क दें।बच्चे को दस्‍त लगने पर डॉक्‍टर की सलाह पर ओआरएस देना चाहिए।जिससे शिशु के शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।

आपको बता दें कि केले में उच्‍च मात्रा में फाइबर होता है जो की मल को सख्‍त करने में मदद करता है।दस्‍त के समय शरीर में इलेक्‍ट्रोलाइट की कमी हो जाती है जिसे केला पूरी करता है।आप शिशु को केले की प्‍यूरी बनाकर खिला सकती हैं।बच्‍चों को केला भी खिला सकती हैं।छह महीने के बच्‍चे के लिए दस्‍त का घरेलू उपाय केला है।इसके अलावा नींबू पानी से आंतों को आराम मिलता है और दस्‍त पैदा करने वाले पैथोजीन नष्‍ट होते हैं।एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस और एक चुटकी नमक या चीनी मिलाकर बच्‍चे को दें और एक साल से कम उम्र के बच्‍चे के लिए नींबू पानी में चीनी या नमक न डालें।आठ महीने के शिशु के लिए दस्‍त का इलाज नारियल पानी भी है।ये शरीर में डिहाइड्रेशन से बचाता है और दस्‍त की वजह से बॉडी में नष्‍ट हुए प्राकतिक नमक की पूर्ति करता है।

बता दें कि ये नुस्‍खा 7 महीने के बच्‍चे के लिए है।जिसमे दही, छाछ या लस्‍सी में प्रोबायोटिक होते हैं जो पेट में गुड बैक्‍ट‍ीरिया को बनाने में मदद करते हैं। इससे पेट खराब की समस्‍या दूर हो सकती है।कुछ रिसर्च में तो ये भी सामने आया है कि प्रोबायोटिक्‍स से आधे या लगभग दो दिनों में संक्रमण से पैदा हुए डायरिया को खत्‍म किया जा सकता है।आप शिशु या बच्‍चे को सादी दही,लस्‍सी या छाछ दे सकती हैं।इसके अलावा छह महीने के शिशु को दस्‍त होने पर घरेलू उपाय के तौर पर चावल का पानी देना चाहिए।बच्‍चों में दस्‍त के घरेलू इलाज के तौर पर चावल के पानी का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।ये दस्त का कारगर और आसान घरेलू नुस्‍खा है।दस्‍त लगने पर शरीर में पानी और तरल पदार्थों की कमी हो जाती है जिसे चावल का पानी पूरी कर सकता है।

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