वरुण ठाकुर- ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के 9 वें दीक्षांत समारोह में वैदिक युग से चली आ रही मिथिला की सांस्कृतिक पहचान पाग और चादर को दीक्षा परिधान के रूप में शामिल किए जाने के संबंध में कुलपति से अविलंब मशविरा करने संबंधी राज्यपाल-सह-कुलाधिपति लाल जी टंडन के आश्वासन पर विद्यापति सेवा संस्थान के अध्यक्ष एवं वयोवृद्ध साहित्यकार पंडित चंद्रनाथ मिश्र अमर ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
सोमवार को अपने आवास पर संस्थान के सदस्यों के साथ उन्होंने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दीक्षा परिधान के रूप में पाग व चादर को शामिल किए जाने के संदर्भ में विस्तार से चर्चा की।
अपने संबोधन में उन्होंने कुलाधिपति से मिलने गए प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल के आग्रह को जिस प्रकार से कुलाधिपति ने गंभीरता से लिया है,
आम मैथिल में यह उम्मीद जगी है कि सांस्कृतिक पहचान के रूप में वैदिक काल से स्थापित मिथिला की परंपरा को कायम रखने में कुलाधिपति प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
इस अवसर पर मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमला कांत झा ने कहा कि पाग व चादर की प्राचीन परंपरा को कुलाधिपति की पहल पर उचित सम्मान मिलेगा, ऐसा उन्हें विश्वास है। विद्यापति सेवा संस्थान के सचिव प्रो जीवकांत मिश्र ने भरोसा जताया कि मिथिला के मौलिक पहचान को दीक्षांत समारोह में अवश्य ही सम्मान मिलेगा।
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संस्थान के कार्यालय सचिव सह प्रवक्ता प्रवीण कुमार झा ने उम्मीद जताई कि कवि कोकिल विद्यापति के समय से पाग व चादर के रूप में कायम आम मैथिल की गौरवशाली सांस्कृतिक पहचान को अक्षुण्ण रखने में विद्वान कुलाधिपति अवश्य ही ठोस कदम उठाएंगे। मीडिया प्रभारी चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई ने कहा कि कुलाधिपति के आश्वासन से आम मिथिला वासी काफी खुश हुए हैं और उन्हें उम्मीद जगी है कि मिथिला की धरोहर परंपरा को कायम रखने में वे अहम भूमिका निभाएंगे।
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मालूम हो कि रविवार की देर शाम मिथिला के जनप्रतिनिधियों का एक प्रतिनिधिमंडल नगर विधायक संजय सरावगी के नेतृत्व में राजभवन में कुलाधिपति लालजी टंडन से मुलाकात कर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के 9 वें दीक्षांत समारोह में मिथिला की सांस्कृतिक पहचान पाग व चादर को विशेष परिस्थिति में दीक्षा परिधान के रूप में स्वीकृति देने का अनुरोध किया था। प्रतिनिधिमंडल में उनके साथ विधान पार्षद अर्जुन सहनी, पूर्व विधान पार्षद डॉ विनोद कुमार चौधरी व विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू शामिल थे।