बिहार में शराबबंदी का मुद्दा विधानसभा चुनाव के दौरान खूब गरमाया रहा। चुनाव खत्म हो चुके हैं और एक बार फिर शऱाबबंदी करने वाले नीतीश कुमार की सरकार सत्ता में है लेकिन शऱाबबंदी को लेकर सियासत रुक नहीं रही है। बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चिट्ठी लिखकर मांग की है कि बिहार में शराबबंदी कानून को खत्म कर देना चाहिए। उन्होंने लिखा कि बिहार में शराब की कीमत दोगुनी-तिगुनी करके फिर से शराब बिक्री की जाए और शराब बिक्री से इकट्ठा होने वाले राजस्व से युवाओं को रोजगार देने का काम करना चाहिए। अजीत शर्मा के मुताबिक शराबबंदी से बिहार को 4 से 5 हजार करोड़ राजस्व का नुकसान हो रहा है और युवा शराब की तस्करी में लगें हैं। वहीं कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह ने भी अजित शर्मा की मांग का समर्थन किया है।
कांग्रेस की तरफ से प्रदेश में शराबबंदी कानून खत्म करने की मांग की गई तो आरजेडी ने भी अपना समर्थन दिया है। आरजेडी ने शराबबंदी को ढकोसला बताया है। आरजेडी ने तंज कसते हुए कहा कि बिहार में शराब की होम डिलीवरी जारी है। पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे का जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्र से ज्यादा अब भी बिहार में लोग शराब पीते हैं। इन्होंने भी कांग्रेस की मांग पर समर्थन देते हुए कहा कि जब कानून का पालन नहीं हो रहा तो शराबबंदी कानून खत्म होना चाहिए।
वहीं इस पूरे मामले पर जेडीयू की तरफ से भी प्रतिक्रया आई है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि जनता इस तरह की मांगों को लेकर कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगी। जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने शराबबंदी कानून को क्रांतिकारी निर्णय बताते हुए कहा कि इससे सड़क दुर्घटना, अपराध में जहां कमी आई है वहीं महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला है। कांग्रेस कानून खत्म करने की मांग करती है तो उनकी मर्जी। अगर कांग्रेस खुद को हास्य का पात्र बनाना चाहती तो उनकी मर्जी। जनता कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगी।