केंद्र सरकार ने अप्रेंटिसशिप नियम (1992) में बदलाव को अधिसूचित कर दिया है। इसका मकसद देश में कुशल श्रमबल को बढ़ाने के साथ अप्रेंटिस को मिलने वाली राशि में बढ़ोतरी करना है।
अप्रेंटिसशिप (संशोधन) नियम, 2019 के तहत किसी संस्थान में अप्रेंटिस की भर्ती की सीमा कुल क्षमता के 15 फीसदी तक की गई है भर्ती की सीमा कुल क्षमता के 15 फीसदी तक की गई है और उनका वेतन (स्टाइपेंड) को 9000 रुपये प्रतिमाह किया गया है। अधिसूचना 25 सितंबर से प्रभावी होगी।
केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने सोमवार को बताया, अप्रेंटिस कानून में अहम बदलाव किए गए हैं। इसमें न्यूनतम स्टाइपेंड 5000 से बढ़ाकर 9000 प्रतिमाह किया गया है।
आने वाले समय में अप्रेंटिसशिप की संख्या बढ़कर 2.6 लाख पहुंचने की उम्मीद है, जो मौजूदा समय में 60,000 है। देश की आठ से 10 फीसदी आबादी अब कुशल बन चुकी है, जबकि पहले यह आंकड़ा चार से पांच फीसदी था। ये आंकड़े संगठित क्षेत्र से जुड़े हैं। अगर इसमें असंगठित क्षेत्र को जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा 50 फीसदी पर पहुंच जाएगा।
नए नियमों के तहत पांचवीं से नौवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा प्राप्त अप्रेंटिस को 5,000 रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड, जबकि स्नातक या डिग्रीधारी को 9000 रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसके अलावा अप्रेंटिसशिप को बढ़ावा देने के लिए 21 थर्ड पार्टी एग्रेगेटर्स और 19 राज्यों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
Written by: prachi jain
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