केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के गुपकार गठबंधन को लेकर एक ट्वीट किया और उसे ‘गुपकार गैंग’ का नाम दे दिया। इतना ही नहीं उन्होंने इस गठबंधन में शामिल लोगों को एंटी नेशनल तक कह दिया। शाह के इस बयान पर अब जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने पलटवार किया है।
इसको लेकर महबूबा मुफ्ती ने भी एक ट्वीट किया और लिखा कि, बीजेपी सत्ता की भूख के लिए चाहे कितने भी गठबंधन बना ले, और अगर हम किसी तरह एक संयुक्त फ्रंट बनाते हैं तो हम राष्ट्रहित को चुनौती दे रहे हैं। इसी के साथ उन्होंने बीजेपी पर ये आरोप भी लगाया कि वो हर दिन संविधान की धज्जियां उड़ाती है।
बता दें कि महबूबा मुफ्ती ने ये भी लिखा कि, बीजेपी की भारत में फूट डालने को तरकीब अब पुरानी हो गई है। और अब उनके लिए लव जिहाद, टुकड़े-टुकड़े और अब गुपकार गैंग राजनीतिक वाद-विवाद का हिस्सा हो जाएगा जबकि चर्चा का मुद्दा बेरोजगारी और महंगाई होनी चाहिए। उन्होंने लिखा कि, क्या गठबंधन में चुनाव लड़ना भी अब राष्ट्रद्रोह माना जाने लगा है?
वहीं अपने तीसरे ट्वीट में महबूबा ने लिखा कि, बीजेपी की ये बहुत पुरानी आदत है। पहले वो कहती थी टुकड़े-टुकड़े गैंग देश की अखंडता के लिए के लिए खतरा है और अब इन्होंने गुपकार गठबंधन पर राष्ट्रद्रोही बताना शुरू कर दिया है।
वहीं दूसरी तरफ उमर अब्दुल्ला ने भी इस मामले पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि अमित शाह जी हम कोई गैंग नहीं हैं बल्कि एक राजनीतिक गठबंधन हैं जो आपकी आशाओं के विरुद्ध चुनाव लड़ता रहा है और लड़ता रहेगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि मैं आदरणीय गृहमंत्री के हमले के पीछे की खीज को समझ सकता हूं। उन्हें बताया गया था कि लोगों का गठबंधन चुनाव का बहिष्कार करने की तैयारी में है। इससे बीजेपी को जम्मू-कश्मीर आसानी ने चुनाव लड़ने में मदद मिलती लेकिन हमने ऐसा होने नहीं दिया।
आपको बता दें कि इससे पहले अमित शाह ने अपने ट्वीट में लिखा था कि, गुपकार गैंग वैश्विक होता जा रहा है। वो चाहते हैं कि विदेशी ताकतें जम्मू-कश्मीर में दखल दें। गुपकार गैंग ने भारत के तिरंगे का भी अपमान किया। क्या सोनिया जी और राहुल जी गुपकार गैंग के ऐसे कदम का समर्थन करते हैं? उन्हें इस पर अपना स्टैंड बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहिए।
इसी के साथ उन्होंने कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस और गुपकार गैंग जम्मू कश्मीर को आतंक और अस्थिरता के उस दौर में दोबारा ले जाना चाहते हैं। वो पिछड़े वर्ग, महिलाओं और जनजातियों के हक छीनना चाहते हैं जो हमने अनुच्छेद 370 हटाकर दिया है। यही कारण है कि लोग उन्हें खारिज कर रहे हैं।