सेंट्रल डेस्क आयुषी गर्ग:- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से अनुछेद 370 एव 35(A) हटाए जाने क बाद और वही केंद्र शासित प्रदेश बनने के साथ प्रशासनिक और अन्य विभागीय स्तर पर व्यवस्थाओं में बदलाव आएगा। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 106 केंद्रीय कानून सीधे तौर पर लागू हो जाएंगे। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पुलिस महकमे में सीआरपीसी के तहत मामले दर्ज होंगे। इससे पहले आरपीसी के तहत यह व्यवस्था थी।
मिजोरम और गोवा की तर्ज पर पुलिस प्रशासन की व्यवस्थाओं में बदलाव होगा। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए कर्मचारियों की कमी बनी है, जिससे जम्मू-कश्मीर से कर्मचारियों को भेजा जाएगा। इसके अलावा पर्यटन, विद्युत ऊर्जा, बागवानी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का रास्ता भी साफ हो जाएगा।
बेटियों को नहीं खोनी पड़ेगी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता
जम्मू-कश्मीर में पहले 35-ए लागू था जिसके तहत यहां की बेटियों की शादी दूसरे राज्य में होने से उन्हें नागरिकता खोनी पड़ती थी। वह अपने स्टेट सब्जेक्ट (नागरिकता प्रमाण पत्र) का इस्तेमाल करके जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने या फिर पैतृक संपत्ति से हक खो बैठती थीं। नये जम्मू-कश्मीर में स्टेट सब्जेक्ट की अनिवार्यता और कानून दोनों खत्म हो गए हैं।
चौथी पीढ़ी में भी नागरिकता नहीं
पीओजेके रिफ्यूजी कैप्टन युद्धवीर सिंह चिब का कहना है कि अनुच्छेद-370 और 35 (ए) से जम्मू-कश्मीर के लोग पहले ही बहुत परेशानी झेल चुके हैं। इसके हटने से उन्हें नई जिंदगी मिली है। उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से कभी भी रिफ्यूजियों के लिए नहीं सोचा गया। यहां पर रिफ्यूजियों की चौथी पीढ़ी तक जन्म ले चुकी है पर वो आज भी यहां के नागरिक नहीं बन पाए हैं। भारत के दूसरे राज्यों में बसे रिफ्यूजियों को नागरिकता के साथ-साथ सभी हक भी मिल चुके हैं। अब सारे हक मिलने की उम्मीद है।
‘न पहले खुशी थी न आज दुखी हैं’
पीओके रिफ्यूजी राजीव चूनी का कहना है कि अनुच्छेद-370 और 35 (ए) का फायदा तो था पर इसके हटने से कोई दुख भी नहीं है। जो सुविधाएं कश्मीर से विस्थापित लोगों को मिलती हैं वो पीओके रिफ्यूजियों को कभी नहीं दी गई। पीओके रिफ्यूजियों को स्टेट स्बजेक्ट तो दे दिए गए पर स्थायी रूप से पुनर्वास नहीं किया गया। सरकार एस दिन पीओके वापसी का भरोसा देती है, जो बिल्कुल गलत है। इसी वजह से पीओके रिफ्यूजी न तो पहले खुश थे न आज दुखी हैं।
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