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पाकिस्तानी मौलाना खादिम रिजवी के जहरीले भाषण सुनकर गुजरात में लोगों ने की युवक की हत्या

गुजरात के धंधुका शहर में ‘आपत्तिजनक’ फेसबुक पोस्‍ट लिखने के बाद एक शख्‍स की कुछ दिनों पहले हत्‍या कर दी गई। जिसके चलते अब इस हत्‍याकांड की जांच कर रहे गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्‍ते ने तीन आरोप‍ियों को गिरफ्तार करके खुलासा किया है कि इस हत्‍याकांड के तार पाकिस्‍तान के जहरीले मौलाना खादिम रिजवी के नफरत फैलाने वाले वीडियो से जुड़े हैं। बता दे की मौलाना खादिम रिजवी पाकिस्‍तान के मुस्लिम कट्टरपंथी गुट तहरीक-ए-लब्‍बैक का मुखिया था। नवंबर 2020 में साद रिजवी की कथित रूप से आईएसआई के इशारे पर हत्‍या कर दी गई थी।

वही गुजरात के धंधुका हत्‍याकांड के आरोपियों ने स्‍वीकार किया है कि वे पाकिस्‍तानी मौलाना के जहरीले वीडियो से भ्रमित हो गए थे। इतना ही नहीं दिल्‍ली के दो मौलाना भी उन्‍हें ये पाकिस्‍तानी मौलाना के वीडियो देखने के लिए उकसा रहे थे। जिसके बाद गुजरात एटीएस ने एक मौलाना को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है। एटीएस के मुताबिक इन युवकों को अकेले ही हमला करने लिए के लिए कट्टरपंथी विचारों से भरा गया था। इसके अलावा इन युवकों को हमलावर बनाने के लिए पाकिस्‍तानी मौलाना साद रिजवी के वीडियो दिखाए गए।

पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए सिरदर्द बने जहरीले मौलाना खादिम हुसैन रिजवी की नवंबर 2020 में रहस्‍यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। आपको बता दें कि रिजवी ने पाकिस्‍तान के कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्‍बैक पाकिस्‍तान की स्‍थापना की थी और पिछले दिनों ही उसके संगठन ने रावलपिंडी और इस्‍लामाबाद को घेर लिया था। जिसके चलते जहां लाखों लोग इन दोनों ही शहरों में कैद होकर रह गए थे, वहीं पाकिस्‍तानी सेना और इमरान खान भी दबाव में आ गए थे। बताया जा रहा है कि रिजवी की संदिग्‍ध परिस्थितियों में मौत के बाद उसकी ISI की ओर से हत्‍या की आशंका जताई गई थी।

जानकारी के मुताबिक पाकिस्‍तानी समाज में जहर बोने वाले रिजवी की मौत के बाद ISI ने यह कोशिश की कि कोई भी नेता इस मौत का फायदा न उठा सके। उन्होंने कहा मौलाना की मौत रहस्‍यमय परिस्थितियों में हुई लेकिन इमरान सरकार ने घोषणा की कि मौलाना रिजवी की कोरोना वायरस से मौत हुई है। साथ ही फ्रांस के राष्‍ट्रपति के इस्‍लाम को लेकर दिए बयान के बाद मौलाना ने फ्रांसीसी सामानों के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू किया था।

बता दें कि इन प्रदर्शनों के जरिए मौलाना ने इमरान सरकार की नाक में दम कर रखा था और कानून व्‍यवस्‍था के लिए समस्‍या बन गया था। जिसके चलते पाकिस्‍तानी सेना के लोगों को यह डर सताने लगा था कि रिजवी इमरान सरकार के लिए संकट बन सकता है। पाकिस्‍तान के इस जहरीले मौलाना ने ईशनिंदा कानून को कमजोर नहीं करने पर जोर दिया था और साल 2015 में तहरीक-ए-लब्‍बैक पाकिस्‍तान की स्‍थापना की थी। इसके अलावा पाकिस्‍तान में सबसे शारदा प्रभाव वाले पंजाब प्रांत में रिजवी की गहरी पकड़ थी।

जानकारी के मुताबिक मौलाना ने पंजाब के गवर्नर की वर्ष 2011 में हत्‍या करने वाले मुमताज कादरी की मौत की सजा का विरोध किया था। बता दें कि मुमताज कादरी ने पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर के ईशनिंदा कानून को कमजोर करने की मांग के बाद उनकी हत्‍या कर दी थी। पाकिस्‍तान में अक्‍सर ईशनिंदा कानून के नाम पर अल्‍पसंख्‍यकों और अहमदिया समुदाय के साथ अत्‍याचार की घटनाएं होती रहती हैं। वही इस्‍लाम की आलोचना करने पर ईशनिंदा कानून में दोषी पाए जाने वाले व्‍यक्ति को मौत की भी सजा हो सकती है।

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