प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को एक बार फिर संबोधित किया है। इस दौरान पीएम मोदी ने एक बार फिर देशवासियों को कोरोना संकट में सावधानी बरतने की हिदायत दी है। पीएम मोदी ने कहा कि – कोरोना के इस कालखंड में, मैं, फिर एक बार आपको याद कराऊंगा, मास्क अवश्य रखें, फेस कवर के बिना बाहर ना जाएं। हम ना भूलें, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढ़िलाई नहीं।
वहीं इस दौरान पीएम मोदी ने किसानों का जिक्र भी किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज की तारीख में खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे, उतना ही, वो, आगे बढ़ेगी, उसमें नये-नये तौर-तरीके आयेंगे। पीएम मोदी ने इस दौरान किसानों की तारीफ भी की और कहा कि- मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहां कहा जाता है, जो, ज़मीन से जितना जुड़ा होता है, वो, बड़े-से-बड़े तूफानों में भी उतना ही अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण हैं। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है। मुझे, कई ऐसे किसानों की चिट्ठियाँ मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है । आप सोचिये, कितने नौजवानों को उन्होंने रोजगार दिया, और मज़ा ये है, कि, बिचौलियोँ ना होने के कारण, किसान को भी लाभ हुआ, और, उपभोक्ता को भी लाभ हुआ।
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वहीं इस दौरान पीएम मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले जवानों का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने जवानों की अद्भुत शौर्य को याद करते हुए लिखा कि चार साल पहले, लगभग यही समय था, जब, सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान दुनिया ने हमारे जवानों के साहस, शौर्य और निर्भीकता को देखा था । हमारे बहादुर सैनिकों का एक ही मकसद और एक ही लक्ष्य था, हर कीमत पर, भारत माँ के गौरव और सम्मान की रक्षा करना।
वहीं इस दौरान पीएम मोदी ने देश की कहानी कला को लेकर भी मन की बात में चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा कि कहानी कहने की ये कला देश में और अधिक मजबूत बनें, और अधिक प्रचारित हो और सहज बने, इसलिए, आओ हम सब प्रयास करें। मैं, कथा सुनाने वाले, सबसे, आग्रह करूंगा, हम, आज़ादी के 75 वर्ष मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको, कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं!
पीएम मोदी ने कहा कि आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरुरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग कहानियाँ सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं। हमें, जरुर एहसास हुआ होगा, कि, हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो, आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है।