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हरियाणा के पांच जिलों में लागू हुई पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी

सेंट्रल डेस्क प्राची जैन:-   प्रदूषण के लगातार बढ़ते स्तर व लोगों की परेशानियों को देखते हुए ईपीसीए के चेयरमैन भूरेलाल ने पानीपत सहित हरियाणा के पांच जिलों में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी लागू कर दी है। इस आदेश में पानीपत के अलावा सोनीपत, फरीदाबाद, गुड़गांव को शामिल किया गया है। दिल्ली तथा यूपी के कुछ जिलों में भी इमरजेंसी लागू रहेगी।

एनवारमेंट पोल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा है कि प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर कार्रवाई होगी। खुले मैदानों में प्रशासन को छिड़काव करना होगा। भवन निर्माण पर अगले आदेश तक पाबंदी लगा दी गई है। ईपीसीए जनरेटर व तंदूर पर पहले ही पाबंदी लगा चुका है, लेकिन प्रशासन ने एपीसीए के निर्देशों पर कोई कार्रवाई नहीं की।


 

अब भी शहर में सरेआम डीजल के जनरेटर, ढाबों और होटल में तंदूर चल रहे हैं। पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। जगह जगह पर भवन निर्माण कार्य चल रहे हैं। प्रशासन ने ग्रेप के तहत भी कोई कार्रवाई नहीं की है। ईपीसीए के चेयरमैन ने निर्देश दिए हैं कि खुले में एक्सरसाइज ना करें। खुले में प्रशासन भी किसी भी तरह का आयोजन नहीं करेगा।

ग्रेप के तहत प्रशासन टीमों का गठन कर एक्टीविटी तेज करे, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने ग्रेप के तहत कोई कार्रवाई नहीं की। शुक्रवार को शहर का एक्यूआई 421 दर्ज किया गया। 15 अक्तूबर को दिल्ली – एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी कि ग्रैप लागू कर दिया गया था।

इसके तहत इससे डीजल से चलने वाले जनरेटर व पारंपरिक ईंट भट्ठों पर प्रतिबंध लगा दिया था। बीते दो वर्षों से यह नियम दिल्ली में लागू हो रहा था, लेकिन एनसीआर के अन्य शहरों पर यह लागू नहीं हो रहा था। हालांकि आवश्यक सेवाएं जैसे अस्पताल में छूट दी गई थी। ये भविष्य में जारी रहेगा।

ग्रैप योजना के तहत दिल्ली समेत गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम, सोनीपत, पानीपत और बहादुरगढ़ में भी डीजल जेनरेटर पर रोक रहेगी। हालांकि इनमें से कई शहरों के अधिकारियों का कहना है कि बैन के आदेश को लागू कराना मुश्किल होगा।


 

इनको नियमों से मिलेगी छूट

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) ने सूची बनाई है जिन्हें छूट दी जा रही है। इनमें मेडिकल सुविधाएं, एक्सक्लेटर, एयरपोर्ट, अंतरराज्यीय बस टर्मिनल, रेलवे स्टेशन, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में ट्रेन और स्टेशन की सुविधाएं शामिल हैं।

यहां जारी रहेगी पाबंदी
वहीं ग्रुप हाउसिंग सोसायटी, शिक्षण संस्थान, मॉल आदि में जेनरेट सेट पर पाबंदी रहेगी। ईपीसीए ने पहले ही साफ कर दिया था कि हाउसिंग सोसायटी में सिर्फ लिफ्ट के इस्तेमाल में छूट रहेगी और पावर बैकअप के लिए नहीं मिलेगी।

प्रशासन को ये करानी हैं एक्टिविटी
1. सड़क निर्माण, स्ट्रॉम वाटर, ड्रेनेज और सीवरेज लाईन निर्माण में पर्यावरण नियमों का पालन करवाना।
2. रबड़ प्लास्टिक और कपड़ा आदि कचरे को जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना।
3. कचरा जलाने और बायोमास जलाने वालों को रोकने के लिए टीमों का गठन करना।
4. ठोस कचरा ले जाने वाले वाहनों को पर्याप्त रूप से कवर करवाना।
5. रात के समय में नियमों की अवहेलना पर अंकुश लगाना।
6. नाइट पेट्रोलिंग बढ़ाने विभिन्न स्थानों पर पड़े कचरे और मलबे को उठाने की एक्टिविटी कराई जाएगी।
7. सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगाना।
8. निर्माण गतिविधियों को रोकने और पार्किंग फीस बढ़ाने भी गतिविधियों में शामिल है।


 

इंडस्ट्रीज और कंस्ट्रक्शन पर रहेगी नजर

प्रशासन की नजर शहर के उद्योगों और कंस्ट्रक्शन पर भी रहेगी इसकी जिम्मेदारी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दी गई है। बोर्ड लगातार फैक्ट्रियों में छापेमारी करेगा और कंस्ट्रक्शन कार्य पर भी नजर रखेगा।

पानीपत देश का 11 वे नंबर का सबसे प्रदूषित शहर
एनजीटी की रिपोर्ट के अनुसार पानीपत प्रदेश का दूसरा व देश का 11 वे नंबर का सबसे प्रदूषित शहर है। पानीपत में अवैध रूप से 5 हजार से अधिक फैक्टरियां चल रही है। हर रोज यहां से 80 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं। डाई हाउस में चप्पल व जूते जलाए जाते हैं।

https://www.youtube.com/watch?v=_Y4Rmz-vkag

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