मुम्बई हमले की बरसी पर शहीदों को याद करते हुए एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर हमला बोला है। पीएम मोदी ने भारत की ताकत बयां प्करते हुए कहा कि अब हमारा देश बदल गया है और आज का भारत नई रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है।
पीएम मोदी ने ये सब बातें संविधान दिवस पर गुजरात के केवड़िया में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का समापन सत्र संबोधित करते हुई कही। पीएम वहीं याद दिलाया कि आज की तारीख, देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ जुड़ी हुई है। साल 2008 में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर घातक हमला किया था। जिसमें कई निर्दोष लोगों को जान गई थी। प्रधानमंत्री ने मुंबई हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, आज का भारत नई नीति-नई रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है।
वन नेशन वन इलेक्शन चर्चा का विषय नही भारत की जरूरत है। वन नेशन और वन इलेक्शन पर गहन मंथन की जरूरत है। इस पर विधानमंडलों को भी गहनता से विचार करना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि देश में हर कुछ महीने में कहीं ना कहीं चुनाव हो रहे होते हैं, जिस पर बहुत खर्च होता है। ऐसे में इस पर सोचने की जरूरत है। मोदी ने कहा कि अब हमें पूरी तरह से डिजिटलकरण की ओर बढ़ना चाहिए और कागज के इस्तेमाल को बंद करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा,पूर्ण डिजिटलीकरण का वक्त आ गया है।
वहीं उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का है। ऐसे अनेक प्रतिनिधियों ने भारत के नवनिर्माण का मार्ग तय किया था। और देश उन प्रयासों को याद रखे, इसी उद्देश्य से 5 साल पहले 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 70 के दशक में हमने देखा था कि कैसे शक्तियों के विभाजन की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हुई थी, लेकिन इसका जवाब भी देश को संविधान से ही मिला। साथ ही उन्होंने इमरजेंसी के दौर को याद करते हुए बताया कि उस दौर के बाद नियंत्रण और संतुलन का सिस्टम मज़बूत से मज़बूत होता गया। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों ही उस कालखंड से बहुत कुछ सीखकर आगे बढ़े।
कोरोना महामारी पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि इस महामारी के दौरान भी हमारे देश में इतने बड़े स्तर पर चुनाव होना, समय पर परिणाम आना, सुचारु रूप से नई सरकार का बनना, ये इतना भी आसान नहीं है। हमें हमारे संविधान से जो ताकत मिली है, वो ऐसे हर मुश्किल कार्यों को आसान बनाती है। वहीं प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि समय के साथ जो कानून अपना महत्व खो चुके हैं, उनको हटाने की प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए। बीते सालों में ऐसे सैकड़ों कानून हटाए जा चुके हैं। क्या हम ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते जिससे पुराने कानूनों में संशोधन की तरह, पुराने कानूनों को रिपील करने की प्रक्रिया स्वत: चलती रहे?