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हत्यारे चाचा पर दोष सिद्ध, छुरे से भतीजी पर किए थे 18 वार, मंजर देख कांप गई थी लोगों की रूह

सेंट्रल डेस्क सिमरन गुप्ता:-   बुरी नीयत रखने का विरोध करने पर भतीजी की गर्दन काटकर निर्मम हत्या करने के आरोपी चाचा पर अदालत ने दोष सिद्ध किया। यहचर्चित मामला बागपत के खेकड़ा नगर का है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्पेशल एससी/एसटी कोर्ट के न्यायाधीश आबिद शमीमसजा के प्रश्न पर नौ दिसंबर को सुनवाई करेंगे।  

एडीजीसी फौजदारी अनुज ढाका ने बताया कि खेकड़ा निवासी फारुख ने तीन मार्च 2018 को थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। वादी काकहना था कि पड़ोसी पप्पू के घर से बचाओ बचाओ की आवाज सुनकर घर के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। कुछ देर बाद पप्पूका भाई हारूण दरवाजा खोलकर बाहर निकला तो उसके हाथ में छुरी थी और कपड़ों पर खून लगा था। घर के अंदर पप्पू की बेटी सोनी(17)  की गर्दन कटी लाश पड़ी थी।


 

पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्पेशल एससी/एसटी कोर्ट में पुलिस ने चार्जशीट दाखिलकी। तीन मार्च 2019 को आरोप तय हुए। अभियोजन पक्ष ने अदालत में 10 गवाह पेश किए। गुरुवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीशस्पेशल एससी/एसटी कोर्ट के न्यायाधीश आबिद शमीम ने आरोपी हारूण पर दोष सिद्ध किया। एडीजीसी ने बताया कि सजा के प्रश्नपर नौ दिसंबर को सुनवाई होगी।

चाचा ने दिए थे छुरी के 18 घाव

मुकदमे के वादी का कहना है कि अभियुक्त अपनी भतीजी सोनी पर बुरी नीयत रखता था। वारदात के दिन सोनी के अब्बू और अम्मी घरके बाहर गए हुए थे। वह घर पर अकेली थी। चाचा घर पर पहुंचा और बुरी नीयत डाली। सोनी ने विरोध किया तो अभियुक्त ने छुरादिखाया। लेकिन विरोध करने पर किशोरी की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई। भीड़ की रूह कांप गई थी।


 

पसीजा पड़ोसी का दिल, बेटी मानकर की पैरवी

सोनी की सनसनीखेज हत्या में अपनों के धोखे के साथ पड़ोसी की इंसानियत भी दिखती है। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता जितेंद्र सिंहधामा ने बताया कि जब सोनी की उम्र दो साल थी, तब उसकी मां का इंतकाल हो गया था। पिता मानसिक तौर पर परेशान रहने लगा।आरोपी चाचा और परिवार के अन्य लोगों ने सोनी का पालन पोषण किया। लेकिन जब सोनी 17 साल की हुई तो चाचा की नीयत बिगड़गई। विरोध करने पर उसकी हत्या हुई। निर्मम हत्या की पैरवी करने के लिए परिवार से कोई सामने नहीं आया। ऐसे में पड़ोसी फारुख नेइंसानियत दिखाई। अदालत की चौखट तक इंसाफ की लड़ाई लड़ी।

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