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किसने फहराया लाल किले पर निशान साहिब

तीन कृषि कानूनों के विरोध में 26 जनवरी को हुए उपद्रव के बाद जांच जारी है। उपद्रव के साथ साथ देश के गणतंत्र दिवस के साथ भी खिलवाड़ हुआ लालकिले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा फहराया गया। जिससे पूरा देश शर्मसार है। किसानों ने न केवल ट्रैक्टर मार्च की जिद्द पकड़ी, बल्कि तय रूट से आगे बढ़ते हुए लाल किले तक पहुंच गए। और वहां लाल किले पर उन्होंने केसरिया झंडा फहरा दिया।

गौरतलब है , सामने आए वीडियो में साफ है कि लाल किले पर केसरिया या किसान आंदोलन का झंडा फहराने की दो तीन बार कोशिश की गई। आखिर में एक युवक केसरिया झंडा फहराने में सफल रहा। यह युवक जुगराज सिंह तरनतारन के गांव वां तारा सिंह का रहने वाला है।

आपको बता दें परिवार और ग्रामीणों ने टीवी और इंटरनेट मीडिया पर चल रहे वीडियो से उसकी पहचान कर ली है। पुलिस ने भी परिवार से पूछताछ की है। जुगराज सिंह के पिता बलदेव सिंह व मां भगवंत कौर अपनी तीनों बेटियों के साथ भूमिगत हैं।

लाल किले पर झंडा फहराने वाले जुगराज सिंह के दादा महिल सिंह और दादी गुरचरण कौर ने माना कि लाल किले पर केसरिया झंडा लगाने वाला उन्हीं का पोता है। उन्होंने कहा कि हमारा परिवार बॉर्डर से सटी कंटीली तार के पास खेती करता है।

आपको बता दें कि, परिवार का कोई भी सदस्य किसी गैर सामाजिक गतिविधि में शामिल नहीं रहा है। दादी गुरचरण कौर ने कहा कि जुगराज गांव के गुरुद्वारों में निशान साहिब पर चोला साहिब चढ़ाने की सेवा करता था। गांव में छह गुरुद्वारा साहिब हैं। उसने जोश में आकर लाल किले पर झंडा चढ़ा दिया होगा।

आपको बता दें कि 24 जनवरी को गांव से दो टै्रक्टर ट्रालियां दिल्ली रवाना हुई थीं। जुगराज भी इनके साथ दिल्ली चला गया था। ग्रामीण साधा सिंह, गुरसेवक सिंह और महिदर सिंह का कहना है कि कुछ शरारती लोगों ने यह गलत हरकत की है।

दादा महिल सिंह ने बताया कि परिवार के पास दो एकड़ जमीन है। तीन भैंसें और एक गाय भी रखी है। ट्रैक्टर कई वर्षों से खराब पड़ा। परिवार पर चार लाख का कर्ज भी है।

पुलिस ने की थी परिवार से पूछताछ

26 जनवरी की रात को दस बजे पुलिस की टीम जुगराज सिंह के घर पहुंची थी और परिवार से पूछताछ भी की थी। जुगराज सिंह के पिता बलदेव सिंह ने सिर्फ यह बताया था कि उसका बेटा किसान आंदोलन में शामिल होने लिए दिल्ली गया था।

आपको बता दें जुगराज ढाई वर्ष पहले चेन्नई स्थित निजी कंपनी में काम करने गया था, लेकिन पांच माह बाद ही लौट आया था। इसके बाद खेती का काम देखने लगा। कहा जाता है कि यह मामला कट्टरपंथियों से भी जुड़ा हो सकता है। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि जांच की जा रही है कि मामला खालिस्तान आंदोलन से तो नहीं जुड़ा है।

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