दक्षिण चीन सागर में दुर्घटनाग्रस्त हुए अमेरिका के मोस्ट एडवांस्ट फाइटर जेट एफ-35 के मलबे को तलाशने में अमेरिका और चीन दोनों ही लगे हैं। जानकारी के मुताबिक अमेरिका नहीं चाहता है कि इसके मलबे के जरिए चीन उसकी अति उन्नत तकनीक का पता लगा सके। वहीं दूसरी ओर चीन किसी भी सूरत में न सिर्फ इसके मलबे बल्कि इसके ब्लैक बाक्स को भी खोज लेना चाहता है जो शायद अब तक समुद्र की गहराइयों में छिपा होगा। उसके जरिए चीन न सिर्फ अमेरिका की यहां पर मौजूदगी बल्कि इससे जुड़ी दूसरी अतिमहत्वपूर्ण जानकारियां भी हासिल कर लेना चाहता है।
जानकारी के मुताबिक एफ-35 फाइटर जेट अमेरिका का बेहद एडवांस्ड जेट है जिसका इस्तेमाल अमेरिका के अलावा, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया द्वारा भी किया जाता है। ये दुश्मन के रडार से छिपा रह सकता है जिसके चलते ये एक स्टिल्थ फाइटर जेट है। बता दें कि यह एक ऐसी तकनीक है जिसको हर देश चाहता है। और इस जेट का इस्तेमाल बेहद खास आपरेशन के लिए किया जाता है। अमेरिका के लिए 100 करोड़ डालर का ये जेट बेहद खास है। जिसकी यह भी वजह है कि ये एक मल्टी रोल कांबेट एयरक्राफ्ट है, और जिसका इस्तेमाल कई चीजों के लिए किया जा सकता है।
बता दें कि इस जेट का निर्माण लाकहिड मार्टिन कंपनी द्वारा किया गया है इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका शार्टटेक आफ और वर्टिकल लैंडिंग है। जो इसके तीन बेहद खास वैरिएंट में से एक है। बता दें कि इसके जरिए ये कहीं भी उतर सकता है। इसके अलावा इस जेट की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इसकी फंडिंग में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा, इटली, नार्वे, डेनमार्क और नीदरलैंड भी शामिल रहे हैं। और इसे पाने के लिए कई देशों ने आर्डर भी किया है।
पहली बार एफ-35 को जुलाई 2015 में यूएस मरीन सर्विस में शामिल किया गया था। जिसके बाद 2016 में इसको यूएस एयरफोर्स और वर्ष 2019 में इसको यूएस में शामिल किया गया था। बता दें कि वर्ष 2018 में पहली बार इसका इस्तेमाल कांबेट के लिए इजरायली फोर्स ने किया था। वही अमेरिका की योजना वर्ष 2044 तक इसके करीब 2456 जेट खरीदने की है। इससे अमेरिका की वायु सेना की ताकत और अधिक हो जाएगी।