भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में प्लास्टिक के कचरे ने पर्यावरण दूषित कर दिया है। इसका उपयोग करना आम जीवन में लोगो का अहम् हिस्सा बन गया। यह एक गंभीर समस्या बन गई है जिसे अब और नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता। प्लास्टिक कचरा लगातार पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है।
इस समस्या को केंद्रित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में नागरिको से प्लास्टिक के खिलाफ जन आंदोलन का आह्वान किया है। वहीं दूसरी तरफ भारत में देखा जाए तो प्रतिदिन 9 हजार एशियाई हाथियों के वजन जितना 25,940 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। फिर भी भारतीय दुनिया के सबसे कम प्लास्टिक उपभोक्ताओं में शामिल हैं। एक भारतीय एक वर्ष में औसतन 11 किग्रा प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है।
कचरा घर बना समुद्र- जॉर्जिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक 41 लाख टन से 1.27 करोड़ टन के बीच प्लास्टिक हर साल समुद्र में प्रवेश करता है जो 2025 तक दोगुना होने की उम्मीद है। प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हुआ है इस समस्या को मद्देनज़र रखते हुए भारत सरकार ने जंग छेड़ी हैं।
बताया जा रहा 20 अगस्त को भारतीय संसद ने कहा कि वह परिसर में प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाएगी। 2 अक्टूबर भारतीय रेलवे सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्लास्टिक के खिलाफ भारत ने आंदोलन की शुरुआत कर दी है। प्लास्टिक से हो रहे पर्यावरण नुकसान का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है।
प्लास्टिक के कचरे की वजह से आवारा पशुओं की भारी तादाद में पिछले कुछ साल में मौत हो चुकी है। प्लास्टिक की थैली पर प्रतिबंध लगा देना पर्यावरण प्रदुषण की समस्या को गंभीरता से लेना भारत सरकार की तरफ से एक सराहनीय कदम है। प्लास्टिक के कचरे से निपटने के लिए बेहद जरूरी है इसके प्रति जनमानस का जागरूक होना ताकि देश के पर्यावरण को बेहतर बनाया जा सके।
WRITTEN BY- RISHU TOMAR
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