सेंट्रल डेस्क प्राची जैन: भारत और बांग्लादेश के बीच इडन गार्डन में होने जा रहे ऐतिहासिक टेस्ट में गुलाबी गेंद के कोप से बचने के लिए उसे ओस और गंदा होने से बचाना होगा। जुलाई-सितंबर 2016 में देश में पहली बार हुए गुलाबी गेंद से दलीप ट्रॉफी के मुकाबलों में बीसीसीआई की पिच और ग्राउंड्स कमेटी ने इन्हीं बातों का ख्याल रखा था।
तत्कालीन पिच और ग्राउंड्स कमेटी के चेयरमैन दलजीत सिंह दो लाइनों में स्पष्ट करते हैं कि कोलकाता में गुलाबी गेंद की हरकत से बचने के लिए मैदान पर कम और पिच पर बड़ी घास रखनी होगी। दलजीत के मुताबिक पिच पर घास हरी नहीं बल्कि भूरी होनी चाहिए। वरना मुकाबला जल्द खत्म हो जाएगा।
देश में गुलाबी गेंद के लिए पिच तैयार करने का अनुभव दलजीत सिंह, क्यूरेटर तापोस और यूपीसीए के शिवकुमार को है। इन तीनों ही ने मिलकर ग्रेटर नोएडा के शहीद पथिक सिंह स्टेडियम में दलीप ट्राफी के गुलाबी गेंद से हुए मुकाबलों की पिचें तैयार की थीं।
दलजीत के मुताबिक उस वक्त यह बड़ी चुनौती थी, क्यों कि उससे पहले एडीलेड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच गुलाबी गेंद से डे नाइट टेस्ट हुआ था। उन्होंने इस टेस्ट मैच का फीड बैक मंगवाया था। उसके बाद दलीप ट्रॉफी की पिचों के लिए काम शुरू किया। सबसे बड़ी समस्या गुलाबी गेंद के जल्दी गंदा होने की सामने आई थी। कोलकाता में भी इस दिक्कत से बचना होगा।
वन-डे क्रिकेट में गेंद को गंदा होने से बचाने के लिए आईसीसी 25-25 ओवर के लिए दो सफेद गेंदों का प्रयोग करता है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में 80 ओवर बाद गेंद बदली जाती है। पिच पर अगर घास कम है तो इसका मिट्टी से सीधा संपर्क होगा और गेंद जल्दी गंदी होगी। जिससे शाम और रात के समय में यह गेंद न तो बल्लेबाज को दिखाई देगी और न ही बाउंड्री पर खड़े क्षेत्ररक्षकों को नजर आएगी।
ऐसे में गेंद को गंदा होने से बचाना होगा। इसके लिए पिच पर सामान्य से बड़ी घास रखनी होगी। अगर यह घास हरी रहती है तो तेज गेंदबाजों को एसजी की गुलाबी गेंद की मोटी सीम का फायदा मिलेगा और टेस्ट जल्दी खत्म होने अवसर रहेंगे। पेसर और स्पिनर दोनों के फायदे के लिए पिच पर भूरी घास रखनी होगी। दलीप ट्राफी में पिच तैयार करने वाले ग्रीन पार्क कानपुर के क्यूरेटर शिवकुमार खुलासा करते हैं कि गेंद को गंदा होने से बचाने के लिए उस दौरान पिच पर छह से सात मिलीमीटर की घास रखी गई थी। जबकि सामान्य तौर पर तीन से चार मिलीमीटर की घास रखी जाती है।