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अम्बा का भीष्म को शाप

भीष्म ने किया अम्बा का अपहरण

सत्यवती के गर्भ से महाराज शांतनु को चित्रांगद और विचित्रवीर्य नाम के 2 पुत्र हुए। शांतनु की मृत्यु के बाद चित्रांगद राजा बनाए गए, किंतु गंधर्वों के साथ युद्ध में उनकी मृत्यु हो गई, तब विचित्रवीर्य बालक ही थे। फिर भी भीष्म विचित्रवीर्य को सिंहासन पर बैठाकर खुद राजकार्य देखने लगे। विचित्रवीर्य के युवा होने पर भीष्म ने बलपूर्वक काशीराज की 3 पुत्रियों का हरण कर लिया और वे उसका विवाह विचित्रवीर्य से करना चाहते थे, क्योंकि भीष्म चाहते थे कि किसी भी तरह अपने पिता शांतनु का कुल बढ़े।

भीष्म ने छोड़ दिया .. क्योंकि

लेकिन बाद में बड़ी राजकुमारी अम्बा को छोड़ दिया गया, क्योंकि वह शाल्वराज को चाहती थी, लेकिन शाल्वराज के पास जाने के बाद अम्बा को शाल्वराज ने स्वीकार करने से मना कर दिया। अम्बा के लिए यह दुखदायी स्थिति हो चली थी। अम्बा ने अपनी इस दुर्दशा का कारण भीष्म को समझकर उनकी शिकायत परशुरामजी से की। परशुरामजी ने अन्याय के खिलाफ लड़ने की ठनी। परशुरामजी ने भीष्म से कहा कि ‘तुमने अम्बा का बलपूर्वक अपहरण किया है, अत: अब तुम्हें इससे विवाह करना होगा अन्यथा मुझसे युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।’

परशुराम ने भीष्म से किया युद्ध

भीष्म और परशुरामजी का 21 दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ। अंत में ऋषियों ने परशुराम को सारी व्यथा-कथा और ब्रह्मचर्य के प्रण की बात सुनाई और भीष्म की स्थिति से भी उनको अवगत कराया, तब कहीं परशुरामजी ने ही युद्धविराम किया।

अम्बा ने दिया श्राप

बाद में अम्बा ने बहुत ही द्रवित होकर भीष्म को कहा कि ‘तुमने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया और अब मुझसे विवाह करने से भी मना कर रहे हो। मैं निस्सहाय स्त्री हूं और तुम शक्तिशाली। तुमने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया। मैं तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती, लेकिन मैं पुरुष के रूप दोबारा जन्म लूंगी और तब तुम्हारे अंत का कारण बनूंगी।’ गौरतलब है कि यही अम्बा प्राण त्यागकर शिखंडी के रूप में जन्म लेती है और ‍भीष्म की मृत्यु का कारण बन जाती है।

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