जोड़तोड़ की राजनीति सियासी परंपरा में हमेशा से शुमार रही है। बहुमत हासिल ना होने की स्थिति में दूसरे दलों के सदस्यों पर डोरे डालना काफी पुरानी प्रैक्टिस है। वहीं बिहार की सियासत में भी ऐसा ही कुछ आरोप लगा है आरजेडी के लालू प्रसाद यादव पर । लालू के सुर्खियों में होने का कारण है एक फोन कॉल, दरअसल बीजेपी की तरफ से आरोप लगाए गए हैं कि लालू प्रसाद यादव ने फोन करके बीजेपी के एक विधायक को पार्टी से बगावत करने के लिए मनाने की कोशिश की है। विधानसभा चुनाव में भागलपुर की पीरपैंती सीट से चुनकर आए ललन पासवान का दावा है कि उन्होंने लालू प्रसाद यादव के उस प्रस्ताव को ठुकराया है जिसमें लालू प्रसाद ने उन्हें स्पीकर के चुनाव में आरजेडी का साथ देने की पेशकश की थी। हालांकि इस फोन कॉल को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
पीरपैंती के विधायक ललन पासवान का कहना है कि उन्हें जेल में बंद लालू प्रसाद यादव ने फोन किया था। पासवान के मुताबिक लालू प्रसाद यादव ने उन्हें स्पीकर के चुनाव में महागठबंधन का साथ देने और इसके बदले में उन्हें आरजेडी की तरफ से मंत्री पद का लालच भी दिया गया। बीजेपी के विधायक का दावा है कि लालू प्रसाद ने फोन पर महागठबंधन का साथ देने की पेशकश की थी। वहीं ऑडियो कॉल के मुताबिक जब पासवान ने बीजेपी का सदस्य होने की बात कही तो लालू प्रसाद यादव ने उनसे कोरोना का बहाना बनाकर सदन में गैरहाजिर रहने को कहा था।
वहीं इस प्रकरण के खुलासे और पासवान के आरोपों के बाद लालू प्रसाद यादव विरोधी दलों के निशाने पर आ गए हैं। ललन पासवान ने कहा कि लालू प्रसाद का फोन उस वक्त आया था जब मैं खुद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी के आवास पर बैठा था। इसी दौरान लालू प्रसाद ने फोन करके मुझे एक ऑफर दिया था।वहीं इससे पहले बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने भी लालू प्रसाद पर आरोप लगाए थे। मोदी ने लालू के जेल में फोन का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए एक नंबर भी जारी किया था।