अयोध्या के रौनाही में बनने वाली मस्जिद की जमीन को लेकर शुरू हुआ विवाद अब खत्म हो गया है। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस जमीन पर मालिकाना हक का दावा करने वाली दो बहनों की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट में इस मामले को लेकर अहम सुनवाई हुई। वहीं सुनवाई की शुरुआत में ही याचिकाकर्ता के वकील ने माना कि उनकी याचिका गलत तथ्यों पर आधारित है। साथ ही उन्होंने कोर्ट में अपनी गलती भी स्वीकार की। इसके बाद लखनऊ बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया। वहीं यूपी सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता रमेश कुमार सिंह ने याचिका पर पक्ष रखते हुए कहा कि धन्नीपुर में मस्जिद को जो जमीन सरकार ने आंवटित की है उसके गाटा नंबर और याचिकाकर्ता ने जिस जमीन का जिक्र किया है उसके नंबर अलग-अलग हैं। लिहाजा याचिका गलत तथ्यों पर आधारित है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।
दरअसल इससे पहले याचिका करने वाली बहनों ने दावा किया था कि विभाजन के वक्त उनके पिता परिवार समेत लाहौर से भारत आए थे। दावे के मुताबिक उनके परिवार को 1948-49 में फैजाबाद के पास शेरपुर जाफर, धन्नीपुर गांव में 29 एकड़ जमीन अलॉट की गई थी और ये मस्जिद की जमीन भी उनकी ही जमीन का एक हिस्सा है। वहीं इस दावे को लेकर अयोध्या के जिला प्रशासन ने इन बहनों के दावे को गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि जिस विवादित जमीन का जिक्र दिल्ली की दो बहनें कर रही हैं वो धन्नीपुर की ना होकर शेरपुर जाफर यानी दूसरे गांव की है।