प्रजनन तंत्र के संक्रमण से होने वाले जनन अंगों के संक्रमण हैं | हालांकि प्र.तं.सं. पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकते हैं, लेकिन ये महिलाओं में अधिक होते हैं क्योंकि उनके शरीर की रचना और कार्यप्रणाली कीटाणुओं के आसानी से प्रवेश के लिए अधिक अनुकूल है |
जो प्र.तं.सं. यौनिक संपर्क के द्वारा फैलते हैं, उन्हें यौन संचारित रोग, यौन संचारित संक्रमण या राजित रोग कहते हैं बता दें कि जनन अंग क्षति पहुंचने तथा योनि में सामान्यत: पाये जाने वाले कीटाणुओं की अत्यधिक वृधि के कारण भी संक्रमित हो सकते हैं वही सामान्य स्वास्थ्य का खराब स्तर, जनन अंगों की अस्वच्छता तथा कम आयु में यौनिक क्रिया की शुरुआत आदि से महिला में प्र.तं.सं. के होने की संभावना अधिक हो जाती है |
आमतौर पर अधिकतर महिलाएं असामान्य योनि स्त्राव तथा जनन अंगों पर जख्म आदि जैसी व्यक्तिगत समस्याओं के विषय में चर्चा करने में बहुत झिझकती व शर्माती हैं क्योंकि उन्हें यौन संबंधित समस्याओं पर चुपचाप रह कर बर्दाश्त करते रहना सिखाया गया है | एक यह भी डर रहता है कि यदि कोई महिला प्र.तं.सं., विशेषत: एस.टी.डी., से पीड़ित है तो उसे “बदचलन” कहा जा सकता है | अपर्याप्त यौन शिक्षा तथा चिकित्सा सुविधाओं की कम उपलब्धता के कारण उपचार करवाने में झिझक होती है इसके अलावा घर के निर्णय लेने वाले, जैसे कि सास, महिला को गर्भ सम्बंधित समस्याओं, जैसे कि गर्भावस्था तथा निःसंतानता, के लिए तो स्वास्थ्यकर्मी के पास ले जाने की अनुमति दे देंगे लेकिन “अधिक योनि स्त्राव “ जैसे “मामूली” लक्षणों के लिए नहीं
बता दें कि प्र.तं.सं. को गंभीरता से न लेने का एक अन्य कारण यह भी है कि उनसे जान को सीधा खतरा नही होता है | वे महिला के शरीर में घर बना लेते हैं और लंबे समय तक चलने वाला पेट दर्द या कमर दर्द अथवा निःसंतानता जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती है
महिला में प्र.तं.सं. के कारण होने वाले कुछ लक्षण इस तरह है…असामान्य योनि स्त्राव जो दुर्गन्धपूर्ण तथा सामान्य से अधिक मात्रा में होता है |
बाह्रय जनन अंगों पर जख्म |
पेल्विक एन्फ्लामेंट्री डिजीज के कारण पेडू में दर्द |
इसके अलावा प्रजनन तंत्र के संक्रमण की उपस्थिति का संकेत इन लक्षणों से भी मिल सकता है जैसे- संभोग के दौरान दर्द या रक्त स्त्राव होना
जांघों में दर्दनाक गांठें होना |
पेशाब करते समय जलन व दर्द, जनन अंगों के आस-पास खुजली होना |
यदि प्र.तं.सं. का शीघ्र उपचार नहीं किया जाए तो कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती है जैसे कि पी.आई.डी., निःसंतानता, एच.आई.वी. संक्रमण होने की अधिक संभावना, गर्भाशय से बाहर गर्भधारण, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर तथा मृत्यु | इनके अतिरिक्त गर्भावस्था सम्बंधित जटिलताएं भी हो सकती हैं जैसे कि समय से पहले प्रसव, जन्म के समय बच्चे का कम वजन, मृत बच्चा पैदा होना, गर्भपात या जन्मजात विकार | जन्म के समय योनि में से गुजरते हुए बच्चे को आंखों का संक्रमण हो सकता है जिससे अंततः निमोनिया तथा अंधापन भी हो सकता है |